रविंद्र नाथ टैगोर गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर किया जा रहा है. इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अतिरिक डायरेक्टर हायर एजुकेशन आशीथ मिश्रा मौजूद रहे.
सम्मेलन का विषय पश्चिमी हिमालय में पर्यावरणीय चिंताएं,जलवायु परिवर्तन और संसाधन प्रबंधन रहा. कोलज के प्राचार्य आर आर कौंडल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी की वर्तमान समय में उपयोगिता पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि पश्चिमी हिमालय में जलवायु परिवर्तन से विकट स्थिति उत्पन्न हो गई हैं. जिन पर प्रकाश डालते हुए सतत विकास की बात कही गई. वहीं सम्मेलन के संयोजक डॉक्टर रमेश चंद ने अपने संबोधन में सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य को उजागर किया.
मुख्यअतिथि ने अपने संबोधन में बताया कि आज जिस विकट परिस्थिति से हम गुजर रहे हैं. यह सब मनुष्य के गैर जिम्मेदाराना रवैया के वजह से है.
उन्होंने सभी को पर्यावरण बचाने की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहने काआहवान किया. मुख्य वक्ता इतिहासकार एवं लेखक डॉ. ओ सी हांडा ने अपने संबोधन में बताया कि पर्यावरण को बचाने के लिए अच्छी नीतियों का बनना बहुत जरूरी है.
जबकि डॉ . राकेश भारद्वाज जी ने अपने संबोधन में देहरादून की एक केस स्टडी के माध्यम से बताया कि स्थानीय लोगों को इस प्रकार के कार्य में सम्मिलित होकर वातावरण को बचाने की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहने के लिए प्रेरित किया.
सहायक प्राचार्य अंग्रेजी विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला डॉ हेमराज बंसल ने साहित्य की वातावरण के प्रति लोगों को संचेतना बढ़ाने की बात कही। इसके पश्चात डॉक्टर संगीता सिंह फ्राई यूनिवर्सिटी बर्लिन,जर्मनी ने अपने संबोधन में प्लास्टिक की बनावट तथा इससे बचने के लिए विभिन्न उपाय बताएं. इस संगोष्ठी में पहले दिन पांच तकनीकी सत्र संपन्न हुए जिसमें लगभग 65 प्रतिभागियों ने अपने तथा पोस्टर प्रस्तुत किए.