<p>ऊना जिला के बहुचर्चित आदित्य पराशर हत्याकांड के मुख्य आरोपी राम प्रकाश सिंह उर्फ मोनी को जिला एवं सत्र न्यायधीश डीआर ठाकुर की अदालत ने बरी कर दिया है। राम प्रकाश उर्फ मोनी की तरफ से केस की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र धर्माणी ने बताया कि 2 सितंबर 2014 की रात करीब साढ़े दस बजे ऊना-मैहतपुर हाईवे स्थित रेलवे ब्रिज के नीचे दो गुटों में झगड़ा हुआ। जिसमें आदित्य पराशर नामक युवक की मौत हो गई थी।</p>
<p>वहीं, दूसरे गुट से राम प्रकाश सिंह उर्फ मोनी को भी गंभीर चोटें आई थी, मृतक के पिता भावक पराशर ने आरोप जड़ा कि राम प्रकाश सिंह उर्फ मोनी ने आदित्य का कत्ल किया है। वहीं, मोनी का आरोप था कि सडक़ पर जाते हुए भावक, आदित्य और उनके 3-4 साथियों ने उसे सडक़ पर रोक कर मारपीट की थी। दोनों शिकायतों के आधार पर क्रॉस केस दर्ज किया गया था। जबकि पुलिस ने मोनी के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया था।</p>
<p>पुलिस की ओर से अदालत में 30 गवाह भी पेश किए गए। अदालत में करीब सवा चार साल तक चले केस पर शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायधीश डीआर ठाकुर ने फैसला सुनाते हुए आरोपी राम प्रकाश उर्फ मोनी को साक्ष्यों के भाव में बरी कर दिया।</p>
<p>वहीं, बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र धर्माणी का तर्क था कि मृतक के शरीर पर जो घाव था वह बरामद हथियार से संभव ही नहीं है। जबकि हथियार की बरामदगी भी संदेह के घेरे में है। इसके अलावा रात के वक्त आरोपी किस मकसद से मौके पर गया और उसका कत्ल करने का क्या मकसद था यह भी पुलिस अदालत में बता नहीं सकी।</p>
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