<p>ग्रामीण विकास, पंचायती राज व पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी विकास व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात करके उनसे केंद्र सरकार में स्वीकृति के लिए लंबित 434 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया ताकि प्रदेश की जनता इन परियोजनाओं से लाभान्वित हो सके। वीरेंद्र कंवर ने ऊना जिला के बरनोह में 10 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले मुर्रा भैंस प्रजनन फार्म के शिलान्यास के लिए केंद्रीय मंत्री से समय देने का आग्रह भी किया।</p>
<p>वीरेंद्र कंवर ने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग द्वारा 434 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाली छः बड़ी परियोजनाओं को भारत सरकार को स्वीकृति के लिए प्रेषित किया है, जिनमें 180 करोड़ रुपये लागत की महत्त्वाकांक्षी सीमन लैब भी शामिल है। उन्होंने राज्य में पहाड़ी नस्ल के पशुओं के संवर्धन और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए 9 करोड़ 13 लाख रुपये की परियोजना को भी शीघ्र स्वीकृत करने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत राज्य में 59 करोड़ रूपये की लागत से सूअर प्रजनन संस्थान खोलने का मामला भी केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाया।</p>
<p>वीरेंद्र कंवर ने गत वर्ष कुल्लू जिला के पतलीकूहल में भारी बारिश से ट्राउट मछली फार्म को हुए नुकसान की भरपाई का भी मामला उठाया, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने उन्हें यथोचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। हिमाचल प्रदेश के पशुपालन निदेशक डॉ. स्वदेश चौधरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इसके उपरान्त ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात करके उनसे हिमाचल प्रदेश में जलागम परियोजनाओं के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 590 करोड़ रुपये की वार्षिक धन राशि को स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया।</p>
<p>उन्होंने केंद्रीय मंत्री को अवगत करवाया कि प्रदेश में जलागम परियोजनाओं की लंबित देनदारी के रूप में अभी तीन करोड़ की राशि जारी होना बाकी है, जिसे शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि हिमाचल प्रदेश में जलागम परियोजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। वीरेंद्र कंवर ने केंद्रीय मंत्री से ऊना जिला में ग्रामीण विकास व पंचायती राज अधिकारियों व निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए स्टेट इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट व विस्तार प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का भी आग्रह भी किया।</p>
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