मंडी: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीयों के साथ हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के लडभडोल क्षेत्र की बाग पंचायत के गांव छोटी बाग निवासी विवेक सिंह पुत्र मनोहर सिंह रविवार सुबह सही सलामत अपने घर पहुंच गया है. विवेक के घर पहुंचने से समूचे गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल है.
विवेक के घर पहुंचते ही उसके दादा दादी ने उसे गले लगाया. इस बीच दादी अपने आंसू नहीं रोक पाई. विवेक सिंह यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है. घर पहुंचने पर पत्रकारों से बात करते हुए विवेक सिंह ने बताया कि इस युद्ध के दौरान 14-15 दिन उन्होंने जिस हालात में गुजारे हैं उन्हें वह कभी भी जिंदगी में भुला नहीं पाएंगे.
उन्होंने बताया कि घर आने के लिए किसी भी सरकार की तरफ से उन्हें वहां पर कोई मदद नहीं मिल रही थी. यही नहीं यूक्रेन रेलवे भी भारतीयों को टिकट नहीं दे रहे थे. जैसे तैसे उन्होंने कुछ दूरी का सफर बस के द्वारा किया और किसी तरह रेलवे स्टेशन तक पहुंचे, लेकिन वहां पर जब वह ट्रेन में चढ़ने लगे तो रेलवे कर्मचारियों ने उन्हें वहां से उतार लिया और उनका बैग भी फेंक दिया फिर.
उन्होंने रिश्वत के तौर पर पैसे देकर जैसे तैसे अगले दिन ट्रेन में सवार हुए और सुरक्षित जगह तक पहुंचने के लिए फिर भी 250 किलोमीटर का सफर किया. जहां पर उन्होंने एक बस हायर कर वहां तक पहुंचे, फिर उसके बाद भारत सरकार की मदद मिलने से वे दिल्ली तक पहुंचे और दिल्ली से शनिवार को अपने घर के लिए रवाना हुए.
विवेक सिंह ने बताया कि युद्ध के शुरू होते ही उन्हें हॉस्टल से एक बंकर में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां पर हॉस्टल की ओर से एक-दो दिन तो खाना और पानी मिला लेकिन उसके बाद उन्होंने कुरकुरे, बिस्किट और जूस के सहारे यही समय गुजारा. यहां तक कि करीब 15 दिन तक वह सही तरीके सो भी नहीं पाए. बस उन्हें चिंता थी जिंदा रहने और अपने घर वापसी की.
विवेक के घर पहुंचने से जहां क्षेत्र में खुशी का माहौल है. वहीं बाग पंचायत के प्रधान राजीव खान और विवेक के दादा होशियार सिंह दादी मनसा देवी ने प्रदेश और केंद्र की सरकार का आभार जताते हुए गुहार लगाई कि यूक्रेन में और जितने भी भारतीय विद्यार्थी या अन्य लोग फंसे हैं उन्हें भी सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जाए।