सीपीआई (एम) लोकल कमेठी शिमला ने आज शहर में 4-5 दिन तक पानी की सप्लाई न होने के विरोध में नगर निगम आयुक्त के कार्यलय के बाहर जबर्दस्त प्रदर्शन किया. इसके बाद नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन दिया गया. सीपीआई एम ने आरोप लगाया कि सरकार देश मे आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सब मना रही है. दूसरी तरफ 75 साल में जनता को पानी जैसी प्राथमिक जरूरतों को पूरा नहीं कर सके तो आजादी के कोई मायने नहीं रह जाते.
शिमला में जबसे पानी का निजीकरण करके शिमला जल प्रबंधन कंम्पनी को दिया तब से शिमला में पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है. पानी के रेट हर साल 10% बढ़ाए जाते है परंतु पानी सुचारू रूप से नही दिया जाता. शिमला जल प्रबंधन कम्पनी शहर में सुचारू रूप से पानी देने में पूरी तरह असफल रही है जल प्रबन्धन कम्पनी के साथ हुए MOU को रद किया जाए.
शहर में अधिकतर पुरानी पाइपें फटी होने से पानी बर्बाद हो रहा है. मार्च 2017 में तत्कालीन नगरनिगम ने 950 करोड़ koldem से शिमला को पानी लाने की योजना को मंजूरी दी थी. पांच साल बीत जाने पर इस योजना पूरा करने का प्रयास तक नहीं किया गया योजना फाइलों में ही भटक रही है. सरकार अखबारों में बयान देती है कि 24 घंटे पानी दिया जाएगा सिर्फ अखबारों में 24 घण्टे पानी आता है नलके में तो पांच दिन बाद पानी आता है भाजपा सरकार को जनता की समस्या से कोई लेना देना नहीं सरकार तो उदघाटनो व रैलियों में व्यस्त है.
शहर में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है घरों से कूड़ा 2-3 दिन बाद उठाया जाता है नगर निगम पूरे महीने के पैसे वसूल करती है. सार्वजनिक शौचालयों की सफाई व्यवस्था बदतर है. माल रोड पर लम्बे समय से शौचालय बन्द पड़ा है जिससे पर्यटकों व स्थानीय जनता को असुविधा हो रही है. प्रदर्शन के बाद में नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन दिया गया और मांग की गई कि शिमला शहर में रोज सभी वार्डो में समान रूप से पानी दिया जाए. सरकार SJPN के साथ के MOU को रद्द कर जल वितरण का कार्य नगरनिगम द्वारा किया जाए. कोल डैम से शिमला को पानी लाने कि योजना को तुरंत पूरा किया जाए. शहर में घरों से रोज कूड़ा उठाया जाए और शहर में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए.