<p>हिमाचल में त्योहार और मेले सांस्कृतिक जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। लगभग हर देशी महीने में कोई न कोई उत्सव या त्योहार मनाया जाता है। भादों का महिना समाप्त होते ही आश्विन महिना शुरू होता है। इस संक्रांति को जो उत्सव पड़ता है वह है सैर यानी सायर उत्सव। यह उत्सव हिमाचल के सीमित जिलों में ही मनाया जाता है।</p>
<p>क्रमानुसार भारतीय देशी महीनों के बदलने और नए महीने के शुरू होने के प्रथम दिन को संक्रांति कहा जाता है। लगभग हर संक्रांति पर हिमाचल प्रदेश में कोई न कोई उत्सव मनाया जाता है, जो कि हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी संस्कृति की प्राचीन भारतीय सभ्यता या यूं कहें, तो देशी कैलेंडर के साथ एकरसता का परिचायक है।</p>
<p><strong><span style=”color:#c0392b”>सायर उत्सव को मनाने के पीछे की धारणा</span></strong></p>
<p>प्राचीन समय में बरसात के मौसम में लोग दवाइयां उपलब्ध न होने के कारण कई बीमारियों व प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हो जाते थे तथा जो लोग बच जाते थे वे अपने आप को भाग्यशाली समझते थे तथा बरसात के बाद पड़ने वाले इस उत्सव को खुशी-खुशी मनाते थे। तब से लेकर आज तक इस उत्सव को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कांगड़ा और मंडी में मनाई जाती है सैर</strong></span></p>
<p>हिमाचल प्रदेश के मंडी में सायर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व अनाज पूजा और बैलों की खरीद-फरोख्त के लिए मशहूर है। सायर पर्व जहां कृषि और पशुपालन से जुड़ा हुआ त्योहार है, वहीं बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने की भी परंपरा है। इसे स्थानीय बोली में द्रूब देना कहा जाता है। इसके लिए द्रूब देने वाला व्यक्ति अपने हाथ में पांच या सात अखरोट और द्रूब लेता है, जिसे बड़े बुजुर्गों के हाथ में देकर उनके पांव छूता है। वहीं बड़े बुजुर्ग भी द्रूब अपने कान में लगाकर आशीर्वाद देते हैं। अगर कोई सायर के पर्व पर बड़े बुजुर्गों को द्रूब न दे, तो इसे बुरा माना जाता है। यहां तक कि छोटे-मोटे मनमुटाव भी द्रूब देने से मिट जाते हैं।</p>
<p style=”text-align:justify”>मंडी जिला में सायर के त्योहार के दौरान मेलों का आयोजन भी होता है। मंडी की मशहूर खयोड़ नलवाड़ का आगाज भी सायर के अवसर पर होता है। जिसमें मंडी, सुंदरनगर के अलावा पंजाब से भी पशु व्यापारी यहां आकर बैलों का व्यापार करते हैं। इसके अलावा मझवाड़ पंचायत के देव बाला कामेश्वर सायरी का वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है। इसी प्रकार अन्य स्थानों पर भी मेलों का आयोजन होता है।</p>
<p style=”text-align:justify”>कांगड़ा में भी सायर का त्योहार सदियों से धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घर के बुजुर्ग व महिलाएं हाथ में भोजन की थालियां एक-दूसरे को परोसती हैं। सुबह से लेकर सायं तक अखरोट से खेल का दौर जारी रहता है। इस दिन परिवार के तमाम सदस्य नाई के आने की राह देखते हैं। दरअसल प्रातः नाई घर-घर जाकर अपने साथ लाए घमीरू सायर की पूजा करवाता है, जिसे सैर वंदना कहते हैं।</p>
<p style=”text-align:justify”>बताया जाता है कि संक्रांति के पहले दिन नाथ संप्रदाय जिन्हें जोगी भी कहा जाता है, वह गलगल लाकर घर के अंदर रखता है, जिसकी सपरिवार पूजा की जाती है। इनके साथ बरसात में होने वाले फल और सब्जियां भिंडी, अरवी, मक्की को गलगल (घमीरू) के साथ रखते हैं। प्रातः नाई से सायर का पूजन करवाने के बाद अखरोट दक्षिणा के रूप में भेंट करते हैं।</p>
<p style=”text-align:justify”>बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि इस दिन कोई मक्की और खीरा बगैरा नहीं खाता। इसके पीछे धारणा है कि इस दिन मक्की व ककड़ी खाने वाला व्यक्ति गधा या गीदड़ बनता है। इस दिन सायं बच्चे समूह में गांव में घर-घर जाकर सायर गीत धुपु गाते हैं। धुपु में सुख, समृद्धि और यश की मंगल कामना होती है।</p>
<p style=”text-align:justify”><strong><span style=”color:#c0392b”>घरों में बनते है विशेष पकवान</span></strong></p>
<p>सायर के मौके पर घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते है। शहर व गांव से बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने आने वाले लोगों को घर में बने विभिन्न पकवानों का भोजन करवाया जाता है। सायर के त्योहार के दौरान एक दूसरे को अखरोट बांटे जाते है। सायर को अखरोट का त्योहार भी कहा जाता है। अखरोट का खेल खेलकर अपनी अपनी हार जीत भी सुनिश्चित करते हैं। सदियों से सायर मनाने का विशेष महत्व है।</p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> </p>
<p> </p>
Nb Sub Rakesh Kumar Martyrdom : जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में भारतीय सेना और आतंकियों…
Freedom Fighters Welfare Board Himachal: हमीरपुर के परिधि गृह में हिमाचल प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी एवं…
Shri Ram-Sita wedding Mandi: मंडी के पड्डल मैदान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामार्चा महायज्ञ और…
Breastu Ram returns lost cash: ईमानदार होना इंसान का आभूषण होता है। ईमानदार व्यक्ति…
Hamirpur State Boxing Championship winners: हमीरपुर के गांधी चौक में 53वीं सीनियर स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप…
Himachal Pradesh politics: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और कांगड़ा-चंबा भाजपा प्रभारी, विपिन सिंह…