<p>फर्जी दस्तावेज से वन विभाग में नौकरी लेने के मामले में वन विभाग के प्रमुख ने तमाम पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए निलंबित करने के फरमान जारी किए थे। लेकिन फर्जी दस्तावेजों की आड़ में नौकरी हथियाने के मामले में वन विभाग के प्रमुख के फरमानों को आरोपी महिला कर्मी ने एक तरफा करार देते हुए उसे हाई कोर्ट में चुनौती दे डाली और इस मसले को विभागीय एक तरफा करार दिया। जिसकी अन्य मंडल के विभागीय अधिकारियों से जांच करवाने की मांग की। इसके चलते वन विभाग के प्रमुख ने महिला के पक्ष को रखते हुए इस जांच को आगे वन विभाग गोहर के एसीएफ को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।</p>
<p>लेकिन हाईकोर्ट ने भी विभागीय मसले को सही ठहराते हुए उक्त महिला को दोषी करार दिया है। जिसमें सीडब्ल्यूपी नंबर 1957-2019 के तहत दोषी महिला बनाम स्टेट ऑफ एचपी एंड ओआरएस के तहत रामा सुब्रमण्यम चीफ जस्टिस ने तीन न्यायधीश की आदेश में यह फैसला सुनाया था कि वन विभाग के प्रमुख का फैसला सही है। हाईकोर्ट ने वन विभाग के प्रमुख अधिकारी के फैसले को सही ठहराते हुए उक्त महिला की याचिका खारिज कर दी है। अब जाकर विभाग प्रमुख ने दूसरे वन मंडल गोहर के विभागीय अधिकारी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। लेकिन एक साल से ऊपर समय बीतने को है वन विभाग गोहर मंडल में तैनात जांच अधिकारी ने अभी तक इस दिशा में एक इंच भी कार्यवाही अमल में नहीं लाई है। जबकि इस मसले में हर पहलू पहले ही हर तरह से साफ हो चुका है। इसे हाईकोर्ट ने और वन विभाग की प्रमुख ने पहले ही उक्त महिला को दोषी करार करते हुए चार्जसीट तक कर दिया गया है। लेकिन गोहर वन मंडल में तैनात जांच अधिकारी किस मुहूर्त के आगे कार्यवाही करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। यह बात स्वयं वन विभाग के प्रमुख अधिकारी और संबंधित विभाग के अधिकारियों के लिए असमंजस की स्थिति बना हुआ है।</p>
<p>गौरतलब है कि महिला ने नौकरी के दौरान जब दस्तावेज पेश किए थे तो स्वयं को अविवाहित करार दिया था। साथ में जो अन्य दस्तावेज लगाए थे वह भी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके पेश किए गए थे। लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद भी यह मामला पिछले चार सालों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। उधर वन प्रशिक्षण संस्थान सुंदरनगर के निदेशक डा. कृपा शंकर का कहना है कि इस मामले में महिला को चार्जशीट कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने भी वन विभाग के प्रमुख अधिकारी अजय शर्मा के चार्जशीट करने के फैसले को सही करार दिया। अब वन मंडल गोहर के एसीएफ को जांच अधिकारी लगाया गया है। जल्द ही अंतिम सुनवाई विभाग के पक्ष में आएगी।</p>
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