<p>हिमाचल की हसीन वादियों में फिर से छुक-छुक की आवाज सुनने के लिए पर्यटकों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। कारण, तीन महीने से बैजनाथ की वर्कशॉप में खड़ा 162 साल पुराना जेडबी-66 स्टीम इंजन ट्रैक पर दौड़ने योग्य नहीं रहा। इस कारण इसे रिपेयर के लिए दोबारा अमृतसर की लोको में भेजने का फैसला किया गया है। यह इंजन नई जान डालने के लिए अमृतसर लोको भेजा जाएगा।</p>
<p>गौरतलब है कि विदेशी पर्यटकों की ओर से पठानकोट-जोगिन्द्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर स्टीम इंजन को चलाने की मांग के बाद पठानकोट रेलवे ने प्रतापगढ़ (गुजरात) से स्टीम इंजन की मांग की थी। इस पर रेलवे ने लंदन की एक प्राइवेट कंपनी द्वारा 1857 में बनाए गए जेड बी- 66 स्टीम इंजन को पठानकोट की वर्कशाप में भेजा था। पठानकोट लोको में पहुंचे स्टीम इंजन को ठीक करके मार्च 2003 में रेलवे अधिकारियों की देख रेख में पठानकोट से ज्वालामुखी रोड तक लगभग तीस किलोमीटर तक ट्रायल लिया गया। ट्रायल तो कामयाब रहा, परंतु इंजन के ब्वायलर में समस्या आ गई। इस कारण पर्यटकों और फिल्म निर्माताओं की डिमांड पूरी नहीं हो पाई। वर्ष 2004 में बॉलीवुड के एक फिल्म डायरेक्टर व विदेशी पर्यटकों ने दोबारा इंजन की मांग कर दी।</p>
<p>इंजन का दूसरी बार डल्हौजी रोड स्टेशन तक दस किलोमीटर का ट्रायल हुआ, लेकिन दोबारा वही समस्या आ गई। इसके बाद 2007 में लखनऊ से आए अधिकारियों ने इसे ठीक किया, परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाया। आखिरकार विभाग ने समस्या को हायर अथारिटी के समक्ष रखा। इसके बाद नवंबर 2008 में स्टीम इंजन को अमृतसर लोको भेजा गया था। यहां से वह दोबारा नए कलपुर्जों के साथ 2017 में दोबारा पठानकोट की लोको में पहुंचा था।</p>
<p>बता दें कि साल 2017 में अमृतसर की लोको से पावरफुल होकर पठानकोट पहुंचे जेडबी-66 इंजन की विशेष तौर पर बुकिंग करवाई थी। इसके बाद ब्रिटेन के 11 सैलानियों ने पालमपुर से बैजनाथ तक के लिए दो स्पेशल डिब्बे बुक करवाकर हसीन वादियों का नजारा लिया था। पर्यटकों ने दो दिनों तक अपनी सुविधा अनुसार करीब 22 किलोटीर का सफर तय करते हुए पहाड़ियों के बीच फोटोग्राफी भी करवाई थी। टूर सफल होने के बाद विदेशी पर्यटकों ने फिर से भारत भ्रमण के दौरान स्टीम इंजन की बुकिंग करने की बात कही थी, लेकिन इंजन जबाव दे गया है।</p>
<p>विभागीय अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष विदेशी पर्यटकों को हिमाचल की हसीन वादियों का भ्रमण करवाने के बाद स्टीम इंजन को चालू रखने के लिए प्रत्येक रविवार स्कूली बच्चों को घुमाने का कार्यक्रम तय किया गया था। इसी दौरान करीब तीन महीने पहले पालमपुर से बैजनाथ के बीच जब इंजन चलाया जा रहा था कि वह रुक गया। इंजन को डीजल इंजन के साथ बैजनाथ लोको पहुंचाया गया। इस दौरान इंजन को ठीक करने की कोशिश की गई, परंतु रेलवे अधिकारी सफल नहीं हो पाए। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि स्टीम इंजन को ठीक करने वाला अधिकतर स्टाफ रिटायर हो चुका है। नए स्टाफ के लिए इसे अपने स्तर पर ठीक कर पाना मुश्किल है। इसी को देखते हुए पठानकोट रेलवे ने स्टीम इंजन को फिर से अमृतसर भेजे जाने का फैसला किया है।</p>
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वहीं, इस बारे में जब पठानकोट लोको के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (लोको) देस राज से बात की तो उनका कहना था कि जेडबी-66 को फिर से ट्रैक पर चलाने को नए कलपुर्जे डालने के लिए अमृतसर की लोको भेजा जाएगा। वर्तमान में स्टीम इंजन बैजनाथ की लोको में खड़ा है। यहां से उसे बहुत जल्द पठानकोट लाया जाएगा और फिर अमृतसर भेजा जाएगा।</p>
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