दिल्ली की 'आप' सरकार के 20 विधायकों पर चुनाव आयोग के एक फैसले ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को करारा झटका दिया है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को आयोग्य करार दिया है। चुनाव आयोग ने इन विधायकों को लाभ के पद पर दोषी पाया और उनको आयोग्य करार दिया। वहीं, चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेज दी है।
मामला 2015 का है जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवार ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। जिसे दिल्ली के वकील प्रशांत पटेल ने लाभ का पद बताते हुए इसकी शिकायत राष्ट्रपति को की थी और इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की।राष्ट्रपति ने मामला चुवान आयोग को भेजा और चुनाव आयोग ने 21 विधायकों बकायदा नोटिस भी भेजा था और जिसके बाद माले पर सुनवाई शुरू हुई। हालांकि चुनाव आयोग ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोंदिया को लाभ का पद मामले में क्लीनचिट दे दी थी।
आयोग के इस फैसले से हालांकि अरिवंद केजरीवाल की सरकार को कोई खतरा तो नहीं है ,लेकिन चुनाव आयोग के इस फैसले दिल्ली सरकार को झटका जरूर लगा है। केजरीवाल के मीडिया एडवाइजर नागेंद्र शर्मा ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आयोग ने बिना सुनवाई के ही फैसला सुना दिया।
आप को बता दें कि आम आदमी पार्टी के 67 विधायक हैं अगर आयोग के इस फैसले पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी तो आप के 47 विधायक रह जाएंगे ,जिससे सरकार को कोई खतरा नहीं। वहीं इस मामले पर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी ने सीएम केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है।
जिन विधायाकों को चुनाव आयोग ने आयोग्य करार दिया है आइए एक नजर उन नामों पर डालते हैं:-
आदर्श शास्त्री, अलका लांबा, संजीव झा, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार चौहान, मदन लाल खुफिया,
शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश गुप्ता, राजेश ऋषि, अनिल कुमार बाजपेई, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी, जरनैल सिंह।