देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली छावनी के बरार स्क्वायर श्मशान घाट पर उन्हें अंतिम विदाई दी गई। बिपिन रावत और मधुलिका रावत की बेटियों कृतिका और तारिणी ने अपने माता-पिता को अंतिम संस्कार किया। जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई। उनके अंतिम संस्कार के दौरान सशत्र सेनाओं के विभिन्न रैंकों के कुल 800 सैन्यकर्मी मौजूद रहे। इसके अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, अन्य देशों के अधिकारियों समेत कई हस्तियां सीडीएस जनरल बिपिन रावत के अंतिम दर्शन के लिए श्मशान घाट पहुंची।
जनरल विपिन रावत जब अपने अंतिम सफर पर निकले तो रास्तों पर उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग खड़े हुए थे। सीडीएस बिपिन रावत की अंतिम यात्रा में नागरिकों ने “जब तक सूरज चांद रहेगा, बिपिन जी का नाम रहेगा” के नारे लगाए। इससे पहले जब सीडीएस बिपिन रावत का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे हुए राजधानी दिल्ली पहुंचा तो माहौल गमगीन था।
तमिलनाडु के कुन्नूर में 8 दिसंबर की दोपहर हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हेलिकॉप्टर में उस वक्त देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत अपनी पत्नी मधुलिका के साथ मौजूद थे। सीडीएस, जनरल बिपिन रावत अपनी पत्नी मधुलिका रावत और अन्य 11 लोगों के साथ नीलगिरि हिल्स के वेलिंगटन में मौजूद डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के स्टाफ कोर्स के संकाय और छात्र अधिकारियों को संबोधित करने जा रहे थे। इसी दौरान तमिलनाडु के कुन्नूर के पास सैन्य हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें मौजूद 14 में से 13 लोगों की मौत हो गई।
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