भारतीय सेना में देसी गन धनुष के शामिल होने रास्ता साफ हो गया है। भारतीय जमीन पर बनी इस देसी गन धनुष का जैसलमेर के पोकरण में दूसरा सफल परीक्षण किया गया। इससे पहले इसका परीक्षण 2017 में किया गया था, लेकिन तकनीकी गड़बड़ियां सामने आने के बाद इसे रोक दिया गया था। दूसरे परीक्षण के सफल होने के बाद यह पूरी तरह से सेना के काफिले में शामिल होने के लिए तैयार हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, देसी गन धनुष की क्षमता की बात करें तो 155 एमएम की यह गन एक बार में 60 राउंड फायर कर सकती है। इसके वार करने की क्षमता 38 किलोमीटर तक है। इस गन को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने निजी कंपनी टाटा पावर और भारत फोर्ज के साथ मिलकर तैयार किया था। साल 2017 में हुए परीक्षण के समय इसका बैरल अधिक गर्म होने और फटने की शिकायत भी सामने आई थी। इस कारण सेना ने धनुष गन को दोबारा से तैयार करने के लिए कहा था।
उस वक़्त धनुष गन में आईं शिकायतों को लेकर जांच की गई तो सामने आया कि फायर करने वाले गोलों में ही खराबी थी। इससे बैरल फटने की घटना भी हुई थी, इसके बाद सभी कमियां दूर कर नए सिरे से पूरी गन तैयार की गई। तीन दिन पहले जैसलमेर की पोकरण रेंज में चार घंटे तक धनुष गन का परीक्षण किया गया। यह परीक्षण दो चरणों में पूरा हुआ। पहले चरण के परीक्षण में 45 राउंड फायर किए गए। इसके तुरंत बाद शुरू हुए दूसरे चरण में 45 राउंड फायरिंग की गई। इस दौरान भारतीय सेना के लिए बनाई गई देसी गन ने हर चुनौती को सफलता से पूरा किया।
जानकारी के अनुसार भारतीय सेना ने चार साल पहले 118 धनुष गन का ऑर्डर दे दिया था। इसके सफल परीक्षण के बाद 450 देसी गन का ऑर्डर भी जल्द दिया जा सकता है। 12 साल पहले इसकी बनावट का खाका तैयार किया गया था। एक धनुष गन की कीमत 15 करोड़ रुपए है। इसे चलाने के लिए छह से आठ जवानों की जरूरत होती है। इसे अलग अलग टुकड़ों में बांटकर कहीं भी ले जाया जा सकता है।