सर्दियों के मौसम में कोहरे का कहर लगभग सभी पर पड़ता है। कोहरे या किसी अन्य कारण से ट्रेनों के लेट होने का सिलसिला काफी पुराना है। कई बार कोहरे या अन्य तकनीकी वजहों से हवाई यात्रा में भी देरी होती है या निरस्त कर दी जाती हैं। पिछले हफ्ते ही कोहरे की वजह से तकरीबन 200 उड़ानों में देरी हुई या रद्द करनी पड़ी थीं। हवाई यात्रा पर कोहरे का ये कहर अब भी जारी है। लेकिन इन सब कारणों में हवाई यात्रा में देरी होने, रद्द होने या ओवरबुकिंग होने पर यात्रियों को मुआवजा देने के लिए नियम बनाए जा रहे हैं। एविएशन रेगुलेटर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने यात्री हितों की रक्षा के लिए कुछ नियम बनाए हैं।
हवाई यात्रा में देरी होने पर…
अगर आपकी हवाई यात्रा में 24 घंटे से कम की देरी होती है तो आप एयरपोर्ट पर भोजन और रिफ्रेशमेंट पाने के हकदार हैं। 24 घंटे से ज्यादा की देरी होने पर आपको मुफ्त में होटल में रहने की भी सुविधा मिलती है। होटल का चुनाव एयरलाइंस की पॉलिसी के अनुसार होगा। डीजीसीए के नियमों के अनुसार अगर हवाई यात्रा में देरी की वजह एयरलाइंस के नियंत्रण से बाहर है तो वह यात्रियों को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं होगी। बाहरी कारणों में राजनीतिक अस्थिरता, प्राकृतिक हादसा, गृह युद्ध, बम विस्फोट, दंगा, उड़ान को प्रभावित करने वाला सरकारी आदेश और हड़ताल शामिल है।
हवाई यात्रा रद्द होने पर…
अगर आपकी हवाई यात्रा रद्द होती है तो एयरलाइंस बिना अतिरिक्त किराया लिए, आपको यात्रा के दूसरे विकल्प देने को बाध्य है। अगर आप दूसरी फ्लाइट या दूसरे एयरलाइंस की फ्लाइट में यात्रा नहीं करना चाहते हैं तो आपको टिकट की पूरी कीमत वापस लेने के हकदार हैं। अगर फ्लाइट रद्द होने से 3 घंटे पहले आपको इसकी सूचना नहीं दी जाती है तो एयरलाइंस को यात्रा के ब्लॉक टाइम के अनुसार मुआवजा देना होगा।
ब्लॉक टाइम के अनुसार मुआवजा
ब्लॉक टाइम का मतलब है, आपकी फ्लाइट गंतव्य तक जाने में जो समय लेती है। एक घंटे के ब्लॉक टाइम वाली फ्लाइट के लिए 5000 रुपये और 2 घंटे के ब्लॉक टाइम वाली फ्लाइट के लिए 7000 रुपये या दोनों स्थिति में एक तरफ की बुकिंग के बेस फेयर औऱ एयरलाइन का फ्यूल चार्ज, इनमें से जो भी कम हो वह दिया जाएगा। दो घंटे से ज्यादा के ब्लॉक टाइम वाली फ्लाइट के लिए 10,000 रुपये या एक तरफ की बुकिंग के बेस फेयर में एयरलाइन का फ्यूल चार्ज जोड़कर, दोनों में से जो कम हो दिया जाएगा।
ओवरबुकिंग पर ये है नियम
बहुत सी एयरलाइन खाली सीटों के साथ उड़ान की संभावनाओं को कम करने के लिए ओवरबुकिंग कर लेती हैं। मतलब सीटों की संख्या से ज्यादा यात्रियों की बुकिंग। ऐसे में कई बार यात्रियों को कंफर्म बुकिंग होने के बाद भी एयरलाइंस बोर्डिंग की अनुमति नहीं देती हैं। ऐसे में एयरलाइन को आपके लिए उस फ्लाइट के टेक ऑफ टाइम (उड़ान भरने के समय) से एक घंटे के अंदर दूसरी फ्लाइट का इंतजाम करना होगा। ऐसा न कर पाने पर आप एयरलाइन से मुआवजा लेने के हकदार हैं।
ओवरबुकिंग पर मुआवजा
आपने जिस फ्लाइट के लिए बुकिंग की है अगर एयरलाइन उसके समय से एक घंटे के बाद और 24 घंटे के अंदर आपको दूसरी फ्लाइट उपलब्ध कराती है तो आप एक तरफ की यात्रा के बेस फेयर का 200 फीसदी और एयरलाइन का फ्यूल चार्ज जोड़कर मुआवजा पाने के हकदार हैं। ये मुआवजा अधिकतम 10,000 रुपये तक ही हो सकता है। अगर 24 घंटे बाद आपको दूसरी फ्लाइट उपलब्ध कराई जाती है तो आप एक तरफ की यात्रा के बेस फेयर का 400 फीसदी और एयरलाइन का फ्यूल चार्ज जोड़कर मुआवजा पाने के हकदार हैं।
ये मुआवजा अधिकतम 20,000 रुपये तक हो सकता है। अगर यात्री वैकल्पिक फ्लाइट नहीं लेता है तो वह टिकट की पूरी कीमत और एक तरफ का बेस फेयर का 400 फीसद व एयरलाइन का फ्यूल चार्ज जोड़कर मुआवजा ले सकता है। ये मुआवजा भी अधिकतम 20,000 रुपये तक ही हो सकता है।