लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू होने जा रही है। चुनाव आयोग रविवार शाम 5 बजे लोकसभा और विधानसभा चुनावों का ऐलान कर सकता है। दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 7-8 चरणों में हो सकते हैं।
इसके साथ ही देश भर में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट भी लागू हो जाएगा। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के लागू होते ही सरकारी कामकाज रुक जाते हैं और सरकार कोई भी बड़ा कदम नहीं उठा सकती। यहां तक कि वह जनहित के लिए कोई नई योजना भी शुरू नहीं कर सकती। आइए जानते हैं क्या होती है चुनाव आचार संहिता और इससे जुड़ी बड़ी बातें। साथ ही जानें इसका पालन न करने का क्या हो सकता है परिणाम ।
क्या होती है आचार संहिता :
चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही वहां चुनाव आचार संहिता (model code of conduct) लागू हो जाती है। चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश लग जाते हैं। सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं।
आचार संहिता लगने के बाद प्रधानमंत्री या मंत्री अब न तो कोई घोषणा कर सकते हैं, न शिलान्यास, लोकार्पण या भूमिपूजन कर सकते हैं।
सरकारी खर्च से ऐसा कोई आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचे।
प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टी को रैली, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत पुलिस से लेनी होती है।
जिन्हें चुनाव आयोग ने परमिशन ना दी हो वो मतदान केंद्र पर नहीं जा सकते हैं। राजनीतिक दलों की हरकत पर चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नजर रखते हैं।
सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल मंत्री नहीं कर सकते हैं। सरकारी बंगले का या सरकारी पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जा सकता है।
कोई भी घटक दल वोट पाने के लिए जाति या धर्म आधारित अपील नहीं की कर सकता, अगर ऐसा कोई करता है तो उसे दंडित किया जा सकता है। राजनीतिक पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं को आइडेंटी कार्ड देना होता है।
अगर नियमों का पालन नहीं किया तो :
अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकता है, उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।