फसलों में होते हुए नुकसान को देखते हुए किसान खेती-किसानी के अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. वहीं, किसानों के बीच सफेदा की खेती बेहद तेजी से लोकप्रिय हो रही है. बात दें कि इसकी खेती करने के लिए किसी खास जलवायु की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इसे किसी भी तरह के मौसम में उगाया जा सकता है.
सफेदा का पेड़ 5 सालों में खुद को अच्छी तरह से विकास कर लेता है, जिसके बाद इसे काटा जा सकता है. लेकिन ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए विशेषज्ञ इसकी कटाई 10 से 12 सालों में करने की सलाह देते है. इसकी लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर, ईंधन तथा कागज की लुगदी बनाने के काम आता है.
बता दें कि सरकार सफेदा की खेती को लेकर अपनी तरफ से प्रोत्साहित नहीं करती है, लेकिन सरकार की तरफ से किसानों को इसकी खेती करने से रोका नहीं जाता है. सरकार की तरफ से सफेदा की खेती करने का फैसला किसानों के ऊपर छोड़ दिया गया है.
किसान एक हेक्टेयर में सफेदी की 3000 पौधे लगा सकता हैं. इसके पौधे नर्सरी से बहुत ही आसानी से 7 या 8 रुपए में ही मिल जाती हैं. लागत के तौर पर इसकी खेती में सिर्फ 40 से 50 हजार रुपये तक का खर्च आएगा.
बता दें कि एक पेड़ से लगभग 400 किलो लकड़ी प्राप्त होती है. बाजार में यूकलिप्टस की लकड़ी 6 से 9 रुपए प्रति एक किलो के भाव से बिकती है. ऐसे में अगर एक हेक्टेयर में तीन हजार पेड़ लगाते हैं. तो आसानी से एक करोड़ तक कमा सकते है.
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