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मच्छर के काटने से हुई मौत दुर्घटना नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समाचार फर्स्ट डेस्क |

बीमा से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मोजाम्बिक में मच्छर के काटने से मलेरिया से हुई मौत को दुर्घटना नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि दुनिया में मलेरिया से होने वाली मौतों में पांच प्रतिशत मोजाम्बिक में होती हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, "पॉलिसी के तहत किया गया दावा इस परिकल्पना पर आधारित है कि इसमें अनिश्चितता का तत्व है कि कैसे और कब एक व्यक्ति मच्छर के काटने का शिकार बनेगा, जो वेक्टर जनित बीमारियों का कारक होता है।" पीठ ने आगे कहा, "दलील दी गई है कि मच्छर द्वारा काटा जाना एक अप्रत्याशित घटना है और इसे दुर्घटना माना जाना चाहिए। हम इस दलील से सहमत नहीं हैं।"

शीर्ष अदालत ने यह फैसला नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर अपील पर सुनाया। कंपनी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें आयोग ने मोजाम्बिक में मलेरिया से मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को बीमा राशि देने का आदेश दिया था। इससे पहले पश्चिम बंगाल की जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता आयोग ने भी बीमा कंपनी को बीमा राशि देने का आदेश दिया था।

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खास बात यह है कि बीमा कंपनी इस मामले में बीमा राशि का भुगतान कर चुकी थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को तो खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत बीमा राशि की वसूली नहीं की जाएगी। दरअसल, इस मामले में बीमित व्यक्ति ने 2011 में बैंक से होम लोन लिया था और उपरोक्त कंपनी से लोन का बीमा कराया था। इसके तहत दुर्घटना में मृत्यु पर बीमा कंपनी को होम लोन की सभी ईएमआई चुकानी थीं। बीमित व्यक्ति बाद में मोजाम्बिक शिफ्ट हो गया और वहां 2012 में उसकी मलेरिया से मृत्यु हो गई थी।