2016 में आज के दिन 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान हुआ था। इस दौरान 500 और हजार के नोट बंद कर दिए गए थे। ऐसे में नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने का भी एक हवाला दिया गया था। लेकिन डिजिटल के साथ-साथ देश में कैश का इस्तेमाल और भी बढ़ गया है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में कैश का लेन-देन रिकॉर्ड स्तर पर है। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में कैश का इस्तेमाल 14.5 फीसदी के नए उच्च स्तर पर है। इसके साथ ही नोटबंदी के बाद से ही देशभर में डिजिटल भुगतान के चलन में जबरदस्त वृद्धि हुई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2015-2016 में नकदी 16 लाख करोड़ रुपये चलन में थी। नोटबंदी के बाद 2016-17 में ये घटकर12.6 लाख करोड़ हो गई, लेकिन उसके बाद से उछाल होना फ़िर शुरू हो गया। 2019-20 के आंकड़ों की बात करें तो ये 24.5 लाख करोड़ तक पहुंच गई थी जो कि जीडीपी का 12 फीसदी तक है। अब 2020-21 में ये बढ़कर 28.5 लाख करोड़ रुपये नकदी चलन हो गया जो कि नकद जीडीपी का 14.5 फीसदी है।
जानकारों के मुताबिक देश में कोरोना महामारी को देखते हुए जनता ने नकद कैश रखना जरूरी समझा। इस कारण पिछले वित्त वर्ष में नोटों की संख्या बढ़ गई।
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