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चंद्रग्रहण: 149 साल बाद बन रहा ये दुर्लभ संयोग, आज लाल रंग में नजर आएगा चांद

<p>आज रात को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगने वाला है। सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा जिसे अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। यह रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ऐसा 149 साल बाद होने जा रहा है जब गुरु&nbsp; पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। यह रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लेगी। आइये जाने इस चंद्रग्रहण को लेकर अन्य खास बातें…</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>खगोल विज्ञानियों के लिए खास पल</strong></span></p>

<p>रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा। इस एतिहासिक खागोलीय घटना के वक्त चंद्रमा नारंगी या लालिमा लिए नजर आएगा और इसकी दुधिया रोशनी में लालिमा घुली होगी। सुबह पांच बजकर 47 मिनट 38 सेकेंड पर चांद से धरती की धुंधली छाया भी खत्म हो जाएगी। खगोल वैज्ञानिकों को इस घटना का बेसब्री से इंतजार है। इस आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। सबसे खास बात यह कि इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक और आकार में अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>&nbsp;बेहद शानदार होगा नजारा</strong></span></p>

<p>यह खगोलीय घटना करीब 2 घंटे 58 मिनट तक देखी जा सकेगी। खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह नजारा बेहद शानदार होगा, बशर्ते मौसम साफ हो। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं होती है। चंद्र ग्रहण पूरी तरह से सुरिक्षत होता है इसलिए आप इसे नंगी आंखों से देख सकते हैं। यदि आप दूरबीन की मदद से चंद्र ग्रहण देखेंगे तो आपको यह खगोलीय घटना बेहद स्पष्ट दिखाई देगी। एशिया के देशों में चांद का 65 फीसद हिस्सा ब्लड रेड कलर में नजर आएगा।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कहां-कहां दिखाई देगा यह चंद्र ग्रहण</strong></span></p>

<p>यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है, जो अरु णाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। लेकिन, देश के पूर्वी हिस्सों जैसे बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में चंद्रमा ग्रहण की अवधि में ही अस्त हो जाएगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, हाफ ब्लड मून इक्लिप्स ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत यूरोप के कई हिस्सों में दिखाई देगा। एशिया की बात करें तो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ ईरान, इराक, तुर्की और सऊदी अरब में भी यह नजारा दिखाई देगा।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स</strong></span></p>

<p>सुपर ब्लड थंडर मून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाता है जिससे इसका आकार बाकी दिनों की तुलना में बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा का आकार बड़ा होने और रंग लाल होने के कारण ही इसे सुपर ब्लड मून नाम दिया गया है। चूंकि, इस बार का सुपर ब्लड थंडर मून इक्लिप्स (Super blood Thunder moon Eclipse) आंशिक है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स (Half Blood Thunder Moon Eclipse) नाम दिया है। थंडर (Thunder) शब्द दुनिया भर में चल रही प्राकृतिक घटनाओं से आया है।</p>

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