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केंद्र के आर्थिक पैकज पर राहुल का वार, कहा – कर्ज की जगह सीधे खातों में पैसा दे सरकार

<p>कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों से बातचीत की ।&nbsp; इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान एक संतुलित देश है। हम आर्थिक और स्वास्थ्य संकट से आसानी से निकल सकते हैं। हमें न तो अपनी अर्थव्यवस्था को और न ही अपने बुजुर्गों को कॉम्प्रोमाइस करना है। हमें समझदारी से लॉकडाउन को लिफ्ट करना होगा। राहुल ने कहा कि मैं कोरोना वायरस संकट और 1990 में आए संकट को एक तरह नहीं देखता हूं। दोनों अलग-अलग हैं। हमें भारत के भविष्य को सपोर्ट करना है, उनकी जेबों में पैसा देना है।&nbsp; शॉर्ट टर्म में आप डिमांड को फायर कीजिए। आर्थिक तूफान के लिए तैयारी शुरू कर दीजिए। घरों में मौजूद बुजुर्गों को बचाइये। मीडियम टर्म में- छोटे और लघु उद्योगों को आर्थिक सहायता देकर बड़ा कीजिए। बिहार जैसे राज्यों में ही रोजगार पैदा कीजिए।</p>

<p>उन्होंने कहा कि हम अपने राज्यों में सीधे पैसे दे रहे हैं। हम मनरेगा को डबल करने की कोशिश कर रहे हैं। ये तूफान अभी आया नहीं है, ये सामने आ रहा है। ये तूफान आर्थिक है। मैं आप लोगों से बात करके सरकार पर दबाव बनाना चाहता हूं कि आप सीधे खातों में पैसे डालिए। अगर आप थोड़ा दवाब डालेंगे तो सरकार सुन भी सकती है। विपक्ष का काम सरकार पर दबाव डालने का है।</p>

<p>प्रवासी मजदूरों की समस्या को भी उन्होंने रखा । राहुल ने कहा कि आज हिंदुस्तान के सामने एक बड़ी समस्या है। प्रवासियों की समस्या काफी चुनौतिपूर्ण है। सड़कों पर चलने वाले लोगों की हम सभी को मदद करनी है। भाजपा सरकार में है और उसके पास सबसे ज्यादा हथियार हैं। हमें किसी पर अंगुली नहीं उठानी है। हमें मिलकर इस समस्या का समाधान करना है। विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। सरकार को आर्थिक पैकेज पर दोबारा विचार करना चाहिए। डिमांड को चालू करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं होता तो इससे देश को बहुत ज्यादा नुकसान होगा। आप न्याय जैसी योजना लागू कर सकते हैं। आप इसे कोई और नाम दे सकते हैं। मेरा कहना है कि बहुत जरूरी है कि गरीब लोगों की जेब में पैसा होना चाहिए।</p>

<p>इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं बहुत प्यार से प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि वे भारत के लोगों के बारे में सोचें, विदेश के बारे में नहीं। मैं सरकार से विनती करता हूं कि आप कर्ज जरूर दीजिए लेकिन भारत के बच्चों के लिए साहूकार मत बनिए। सड़क पर चलने वाले प्रवासियों की जेब में पैसे दीजिए। सड़क पर चलने वाले लोग भारत का भविष्य हैं। ये बाते मैं एक राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बोल रहा है। सरकार को आर्थिक पैकेज पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।</p>

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