देश में बढ़ती जनसंख्या के बीच बेरोजगारी दर भी लगातार बढ़ती जा रही है। सही नौकरी नहीं मिलने से निराश लाखों भारतीय, खासतौर पर महिलाएं, श्रमिकों की लिस्ट से पूरी तरह बाहर होती दिख रही हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 और 2022 के बीच, कुल श्रम भागीदारी दर 46% से घटकर 40% हो गई। इसमें लगभग 2.1 करोड़ श्रमिकों ने काम छोड़ा और केवल 9% योग्य आबादी को रोजगार मिला।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अभी 90 करोड़ लोग रोजगार के योग्य हैं। इनमें ज्यादातर युवा हैं, जिनकी उम्र बढ़ रही है। लेकिन, काम न होने की वजह से उनकी आमदनी उस रफ्तार में नहीं बढ़ रही, जिस रफ्तार में दुनिया के दूसरे देशों में बढ़ रही है। यही स्थिति रही तो भारत सबसे ज्यादा वर्क फोर्स के बावजूद तरक्की का मौका खो देगा, जो अभी सिर्फ भारत के पास है। क्योंकि, भारत में सबसे ज्यादा युवा हैं। देश में करीब 45 करोड़ से ज्यादा लोगों ने तो अब काम की तलाश भी छोड़ दी है।
बात करें महिलाओं की तो देश की आबादी में 49% हिस्सेदारी रखने वाली महिलाओं की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी सिर्फ 18% है, जो कि वैश्विक औसत से लगभग आधी है। विशेषज्ञों के अनुसार कई प्रोफेशन ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं की हिस्सेदारी नाममात्र की है। यही वजह है कि योग्यता के बावजूद सिर्फ 9% महिलाओं के पास काम है या वे काम की तलाश जारी रखे हुए हैं।