भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए बुधवार का दिन बेहद खास होने जा रहा है। इसरो आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लांचिंग पैड से दोपहर 3.25 बजे पीएसएलवी सी-48 रॉकेट को लांच करेगा। मंगलवार दोपहर बाद 4.40 बजे पीएसएलवी की उड़ान की उल्टी गिनती शुरू कर दी गई। अपनी इस उड़ान के साथ यह रॉकेट अंतरिक्ष अभियानों का अपना ‘अर्द्धशतक’ पूरा कर लेगा। साथ ही यह श्रीहरिकोटा से छोड़ा जाने वाला भी 75वां मिशन होगा।
इस बार इसरो पीएसएलवी के जरिये एक साथ 10 सैटेलाइट को आसमान में रवाना करने जा रहा है। इनमें देश की दूसरी खुफिया आंख कही जा रही डार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट आरआईसैट-2बीआर1 भी शामिल है। इसरो के मुताबिक, इस सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 576 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में 37 डिग्री झुकाव पर स्थापित किया जाएगा। इस सैटेलाइट के अंतरिक्ष में स्थापित होने के साथ देश की सीमाओं पर घुसपैठ की कोशिश लगभग नामुमकिन हो जाएंगी।
इसमें लगे खास सेंसरों के चलते सीमापार आतंकियों के जमावड़े की भी सूचना पहले ही मिल जाएगी। साथ ही सीमापार की गतिविधियों का विश्लेषण भी आसान हो जाएगा। 22 मई को लांच की गई आरआईसैट-2बी पहले से ही देश की खुफिया आंख के तौर पर निगरानी का काम कर रही है। जिनमें अमेरिका की 6, इस्राइल की 1, इटली की 1 और जापान की 1 सैटेलाइट है। इन सभी सैटेलाइट को पीएसएलवी के उड़ान भरने के 21 मिनट के अंदर बल्बनुमा पेलोड फायरिंग तकनीक के जरिये एक के बाद एक अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा। इस उड़ान के लिए मंगलवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। इस ऐतिहासिक उड़ान का दीदार करने के लिए पांच हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है।