राइट टू प्राइवेसी यानी निजता के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए निजता को मौलिक अधिकार बताया है। नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया।
नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मसले पर 6 दिनों तक मैराथन सुनवाई की थी। इसके बाद 2 अगस्त को पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने की। इस मामले में याचिकाकर्ता और मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है और कहा है कि ये अनुच्छेद 21 के तहत आता है।
हालांकि, आधार कार्ड वैध है या अवैध है, इस पर अभी कोर्ट ने कुछ नहीं बोला है। आधार कार्ड के संबंध में मामला छोटी खंडपीठ के पास जाएगा। प्रशांत भूषण ने बताया कि इस फैसले का मतलब ये है कि अगर रेलवे, एयरलाइन जैसे रिजर्वेशन के लिए जानकारी मांगी जाती है, तो ऐसी स्थिति में नागरिक अपने अधिकार के तहत उससे इनकार कर सकेगा। भूषण ने बताया कि निश्चित तौर पर कोर्ट का ये फैसला केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि, केंद्र सरकार निजता को मौलिक अधिकार मानने के विरोध में थी।