New Delhi: हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शनिवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। यह मुलाकात उस समय हुई जब उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर विवाद चल रहा था, जिसमें उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों के लिए अपनी दुकानों पर पहचान पत्र दिखाने को अनिवार्य करने की बात कही थी। हालांकि, राज्य सरकार ने बाद में स्पष्ट किया कि इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सिंह ने कांग्रेस की विचारधारा और सिद्धांतों के प्रति अपनी निष्ठा जताई।
सिंह ने अपनी टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बीच कांग्रेस आलाकमान को आश्वस्त किया कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया है और वह पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमाचल प्रदेश में उत्तर प्रदेश मॉडल का अनुसरण नहीं किया जा रहा है। सिंह की यह सफाई तब आई जब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उनके बयान पर आपत्ति जताई थी। कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट किया है कि पार्टी किसी भी सदस्य को उसकी नीतियों और विचारधाराओं के खिलाफ जाने की अनुमति नहीं देती।
इस पूरे मामले को लेकर शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य सिंह के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्हें बताया गया कि कांग्रेस “नफरत के खिलाफ प्यार से लड़ने” के सिद्धांत में विश्वास करती है, जैसा कि पार्टी नेता राहुल गांधी ने कहा है। सिंह ने इसके बाद आलाकमान को विश्वास दिलाया कि वह कांग्रेस की विचारधारा के साथ मजबूती से खड़े हैं और उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया है।