तस्वीर तो देख ही रहे हैं. लड्डू कौन खा रहा है और खिलाने वाले लोग कौन-कौन से हैं. यह देख अंदाजा तो हो ही चुका होगा कि पंजाब का फिलहाल असली ‘किंग’ कौन है. इस तस्वीर के सहारे सोशल मीडिया पर अब एक बहस भी छिड़ गई है कि क्या चन्नी सिर्फ छलावा हैं और मुख्यमंत्री का असली पावर सिद्धू के पास है. पंजाब में जिस दलित प्राइड का हवाला देकर कांग्रेस इतिहास रचने का दावा कर रही है. वहीं, सोशल मीडिया पर पंजाब की कमान अभी भी जट सिख के हाथ में होने का चर्चा है. वैसे अगर ऐसा है तो निश्चित रूप से पंजाब की यह ‘कमॉफ्लॉज पॉलिटिक्स’ देश के दूसरे हिस्सों में भी फल-फूल सकती है.
बहरहाल बीते 48 घंटों में जो कुछ पंजाब में घटा है, वह कोई पहली दफे नहीं है. लेकिन, एक दावा जिसे कांग्रेस अपने फैसले को बोल्ड होने का दावा कर रही है, उस पर सवाल कई जरूर खड़े हो चुके हैं. मसलन, क्या चन्नी सिर्फ चेहरा हैं और असली ताकत सिद्धू के पास है? हालांकि, सियासी तौर पर कांग्रेस के इस फैसले पर दो पक्ष लामबंद होते दिखाई दे रहे हैं. एक तरफ तमाम विपक्षी दल हैं, तो दूसरी तरफ अब कैप्टन का खेमा भी इसे छलावे के तौर पर देख रहा है. कहना मुनासिब होगा कि इस अंसतोष की आग में घी डालने का काम पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने किया. रावत ने ऐलान कर दिया कि 2022 का विधानसभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. अब सवाल उठता है कि अगर नेतृत्व सिद्धू का है तो फिर चरणजीत सिंह चन्नी क्या हैं?
हरीश रावत के बयान के सामने आते ही पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मोर्चा खोल दिया. जाखड़ ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इस बयान से मुख्यमंत्री चन्नी की गरीमा को ठेस पहुंचता है, उनके पावर को चैंलेज किया जा रहा है. गौरतलब है कि कैप्टन के पद छोड़ने के दौरान सुनील जाखड़ का भी नाम सीएम कैंडिडेट के तौर पर सामने आया था. यही नहीं, खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले भी सुनील जाखड़ को पंजाब का भावी सीएम बता चुके थे. लेकिन, बीते 48 घंटों के सियासी उठा-पटक के बीच जाखड़ रेस से बाहर हो गए.
चूंकि, पंजाब एक दलित बहुल राज्य है, जहां की 30 फीसदी से ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति से संबंध रखती है. ऐसे में देश कद्दावर दलित नेता और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनाने पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने चन्नी को सीएम बनने की बधाई तो दी लेकिन कांग्रेस पार्टी पर प्रहार कर दिया. मायावती ने कहा कि कांग्रेस को दलित मुसीबत के वक्त ही याद आते हैं. उन्होंने भी हरीश रावत के बयान को आधार बनाते हुए हमला बोला. बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, “ मुझे मीडिया के जरिए पता चलवा है कि पंजाब का अगला विधानसभा चुनाव एक गैर-दलित के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि कांग्रेस को अभी भी दलितों पर पूरा भरोसा नहीं है. पंजाब में अकाली-बीएसपी गठबंधन से कांग्रेस डरी हुई है.” आपको बता दें कि 1996 की तर्ज पर पंजाब में अकाली और बीएसपी ने गठबंधन कर लिया है.
मायावती के अलावा प्रदेश में अपनी साख खो चुकी बीजेपी ने भी बयान दिया है और चन्नी को महज तीन महीने का सीएम बताया है. बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस ने एक दलित चेहरे को सिर्फ 3 महीने का सीएम बनाकर दलित समाज का माखौल उड़ाया है.
वैसे कांग्रेस ने चरणजीत चन्नी को पंजाब का सीएम बनाकर खुद को अनुसूचित जातियों की हमदर्द दिखाने की कोशिश की है. लेकिन, असली रिमोट किसी दूसरे के हाथ में थमाने का कयास पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है. अगर चन्नी किसी के प्रभाव में आए बगैर पार्टी के लिए काम करते हैं और गुटबाजी को भी साधने की कोशिश करते हैं. तभी कांग्रेस का आगामी चुनाव में स्थिति सही रहने वाली है. वर्ना, जिस तरह का बवंडर फिर से कांग्रेस के भीतर खड़ा हो रहा है, वो निश्चित रूप से बेहतर संकेत तो नहीं हैं.
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