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बीटिंग द रिट्रीट क्या है? क्यों है ये इतना खास, जानें-

पंकज चम्बियाल |

र‍िपब्‍लि‍क डे और 'बीटिंग द रिट्रीट' का खास कनेक्‍शन है। यह भी कह सकते हैं क‍ि इसके ब‍िना गणतंत्र दिवस अधूरा सा लगता है। ऐसे में हर वर्ष की तरह आज विजय चौक पर 'बीटिंग द रिट्रीट' का आयोजन क‍िया जा रहा है। आइए जानें क्‍या है ये बीटिंग द रिट्रीट और इस बार इसमें क्‍या है खास…

आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन होता

गणतंत्र द‍िवस का समरोह 26 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाता है। हर व‍िशेष आयोजन की तरह इसके समापन का भी एक द‍िन न‍िर्धार‍ित है। भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर हुए आयोजनों का आधिकारिक रूप से इसी द‍िन समापन क‍िया जाता है। ऐसे में इस चार द‍िवसीय समारोह को 29 जनवरी की शाम को 'बीटिंग द रिट्रीट' के साथ पूरा क‍िया जाता है। कार्यक्रम में भारत की सैन्य शक्ति, समृद्ध विविधता और सांस्कृतिक विरासत को दिखाया जाता है।

राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार कर राष्‍ट्रगान गाया जाता

बीटिंग रिट्रीट ब्रिटेन की बहुत पुरानी परंपरा है। इसका असली नाम 'वॉच सेटिंग' है और यह सूर्य डूबने के समय मनाया जाता है। वहीं भारत में बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत सन 1950 से हुई थी। ऐसे में 29 जनवरी की शाम को इस खास मौके पर तीन सेनाओं के सामूहिक बैंड एक साथ म‍िलकर वादन करते हैं। इस खास मौके पर मुख्य अतिथि राष्‍ट्रपत‍ि मौजूद रहते हैं। कार्यक्रम के अंत में नेशनल सैल्‍यूट के बाद राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार कर राष्‍ट्रगान गाया जाता है।

तीनों सेनाओं की ओर से दी जाती है परफार्मेंस

ऐसे में आज व‍िजय चौक पर होने वाले 'बीटिंग द रिट्रीट' में तीनों सेनाओं की ओर से परफार्मेंस दी जाती है। इसके कई क्लासिकल धुनों की आकर्षक संगीतमय प्रस्तुतियां दी जाती हैं।