बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर उन्होंने अरुण जेटली को ख़ासकर जमकर लताड़ लगाई है। अंग्रेजी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' में लिखे अपने लेख में यशवंत सिन्हा कहा, 'वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था का जो 'कबाड़ा' किया है, उस पर अगर मैं अब भी चुप रहा तो राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने में विफल रहूंगा। मुझे यह भी मालूम है कि जो मैं कहने जा रहा हूं बीजेपी के ज्यादातर लोगों की यही राय है पर वे डर के कारण बोल नहीं पा रहे हैं।'
यशवंत सिन्हा खुद अटल बिहारी वायजेपीय की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं। इस बार उन्होंने सुस्त होती अर्थव्यवस्था के लिए अपनी ही पार्टी के सरकार पर गंभीर तंज कसे हैं। उन्होंने लिखा है,"'इस वक़्त भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर क्या है? प्राइवेट इन्वेस्टमेंट काफी कम हो गया है, जो दो दशकों में नहीं हुआ। इंडस्ट्रीयल प्रॉडक्शन ध्वस्त हो गया, कृषि संकट में है, निर्माण उद्योग जो ज्यादा लोगों को रोजगार देता है उसमें भी सुस्ती छायी हुई है। सर्विस सेक्टर की रफ्तार भी काफी मंद है। निर्यात भी काफी कम हो गया है। अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्र संकट के दौर से गुजर रहे हैं।"
य़शवंत सिन्हा नोटबंदी और जीएसटी संबंधी नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्हंने नोटबंदी को सबसे बड़ी आर्थिक आपदा बताई है। उनके मुताबिक ठीक सोच नहीं होने और घटिया तरीके से जीएसटी लागू करने से कारोबार जगत में उथल-पुथल मची हुई है। कुछ तो डूब गए और लाखों की तादाद में लोगों की नौकरियां चली गईं। नौकरियों के नए अवसर भी नहीं बन रहे हैं।
सिन्हा ने पीएम पर तंज भी कसा है, उन्होंने लिखा है, "प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है। ऐसा लगता है कि उनके वित्त मंत्री ओवर-टाइम काम कर रहे हैं ,जिससे वह सभी भारतीयों को गरीबी को काफी नजदीक से दिखा सकें।"
सिन्हा ने तल्ख़ लहजे में कहा है, "प्रधानमंत्री चिंतित हैं। विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त मंत्री ने पैकेज देने का वादा किया है। हम सभी बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। नई चीज इतनी हुई है कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन हुआ है। पांच पांडवों की तरह वे हमारे लिए नई महाभारत को जीतने की उम्मीद लगाएं हैं।"