कुटाखर का पेड़ शरीर को रोग मुक्त रखने में सहायक होगा। यह पेड़ ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है। कुटाखर पेड़ के बीज से बने आटे में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करते हैं। वहीं नाड़ियों में होने वाली सूजन भी ठीक हो जाती है। हिमाचल में यह पेड़ मंडी, कांगड़ा, कुल्लू, शिमला, सोलन के साथ अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
बाजार में कुटाखर का आटा एक हजार से 1200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है। कुटाखर के आटे में एसकुलिन होता है। यह अल्सर सहित माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करता है। इसमें फ्लेबोनाइड, ग्लाइकोसाइड होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। इसके अलावा आटे में शुगर 5.8, प्रोटीन .358, फासफोरस .124, पोटाशियम .733, कैल्शियम .0495, मैग्निशियम 0.042 व आयरन .00484 प्रतिशत होता है।
कैसे तैयार होता है आटा
कुटाखर के पेड़ औमतौर पर जंगलों में पाए जाते हैं। इस पेड़ के 30-35 किलो बीज से केवल दो-तीन किलो आटा निकलता है। बीज को तोडऩे के बाद इसे पीसा जाता है। इसके बाद इसे सात-आठ बार पानी से धोया जाता है। कुटाखर में सेपोनीन होता है, जिसे धोकर निकाला जाता है। धोने के बाद इसे पानी में बड़े बर्तन में रखा जाता है। आटा नीचे बैठ जाता है तो पानी को निकालने के बाद आटे को सुखाया जाता है। महिलाएं इसका हलवा बनाकर खाती हैं।
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