इलायची अपने अंदर कई औषधियों गुण समेटे हुए है। इसके साथ भारत में इलायची को मुख्य मसाले के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इलायची कहां और कैसे उगती है इसके बारे में आप बहुत कम जानकारी रखते होंगे। चलो आपको लिए चलते हैं भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान केरल में। जहां इलायची पर शोध किया जाता है। इलायची पौधे के तने में उगती है। जो डेढ़ से दो साल के अंदर बाजार में उतरने के लिए तैयार हो जाती है।
भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान ( ICRI) की स्थापान 1978 में, छोटी इलायची पर आधारभूत और अनुप्रयुक्त कार्य चलाने हेतु पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड के अनुसंधान स्कन्ध के रूप में मैलाडुंपारा में हुई थी। स्थान-विशिष्ट समस्याओं को सुलझाने हेतु 1980 के दौरान दो क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन भी कर्नाटक के हसन जिले के सकलेशपुर और तमिलनाडु के डिंडिगल जिले के तड़ियांकुड़ीशि में स्थापित की गई।
भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान में चलाए जाने वाले अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य इलायची (छोटी और बड़ी दोनों) की उत्पादकता बढ़ाना है, जिसके द्वार निर्यात मांग की पूर्ति हेतु पर्याप्त अधिशेष उत्पादित करने में मदद मिलेगी, जिससे कि मसाला कृषकों की कुल आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी। ICRI मैलाडुंपारा में राष्ट्रीय इलायची जेर्मप्लासम संरक्षणालय भी है जो करीब 563 इलायची प्राप्तियों एवं विभिन्न कृषि-जलवायविक अंचलों के बारह संबन्धित वंशों को बनाए रखता है।
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