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पढ़ते-पढ़ते अगर हो जाए मूड ऑफ, तो आजमाएं ये तरीका

समाचार फर्स्ट डेस्क |

नए-नए कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी काफी तनाव में रहते हैं। विद्यार्थियों को कक्षाएं, परीक्षाएं और ऐसी ही कई चीजें होती हैं जिनसे वे अक्सर दबाव में रहते हैं। इसके अलावा जब इग्जाम का समय आता है तो कॉलेज, स्कूल जाने वाला प्रत्येक बच्चा अधिक तनाव से ग्रसित हो जाता है। परिक्षाओं का प्रैशर अधिक होता है तो कभी-कभी पढ़ाई करते-करते मूड भी ऑफ हो जाता है। फिर पढ़ने का मन ही नहीं करता है। अधिक तनाव की वजह से बच्चे डिप्रेशन में भी चले जाते हैं।

इस बात का पता लगाने के लिए जब शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक शोध किया तो पया कि कुत्ते या बिल्ली पालने से विद्यार्थियों को तनाव से राहत देने वाले शारीरिक लाभों के साथ-साथ उनके मूड में सुधार लाया जा सकता है। जर्नल एईआरए ओपन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कई विश्वविद्यालयों ने 'पेट योर स्ट्रेस अवे' कार्यक्रम चलाया है। जहां विद्यार्थी आकर कुत्ते और बिल्लियों से बात कर सकते हैं और उनके साथ खेल सकते हैं।

वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर पेट्रीसिया पेंड्री ने कहा कि कुल दस मिनट से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। हमारे अध्ययन में जिन विद्यार्थियों ने कुत्ते और बिल्लियों संग समय बिताया उनमें कॉर्टिसोल हॉरमोन में उल्लेखनीय कमी पाई गई। यह तनाव पैदा करने वाला एक प्रमुख हॉरमोन है। इस अध्ययन में 249 कॉलेज विद्यार्थियों को शामिल किया गया जिन्हें चार समूहों में बांट दिया गया। इनमें से पहले समूह को कुत्ते और बिल्लियों संग दस मिनट का समय बिताने को दिया गया। परीक्षण में पाया गया कि जिन विद्यार्थियों ने जानवरों संग वक्त बिताया उसके बाद उनके लार में कॉर्टिसोल बहुत कम पाया गया।

पेंड्री का कहना है कि हम बस यह देखना चाहते थे कि इस तरह के कार्यकलाप से तनाव में कमी आती है या नहीं और इससे तनाव में कमी आई। यह काफी रोमांचक है क्योंकि हो सकता है कि स्ट्रेस हॉरमोन में कमी वक्त के साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण लाभ पहुंचाए।