कोरोना काल के दौर में बच्चों में बड़ते मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से अब उनमें व्यावहारिक बदलाव आने शुरू हो गए हैं। ऑनलाइन पढाई के कारण बच्चे मोबाइल फ़ोन के इतने आदी हो गए हैं कि अगर थोड़ी देर के लिए भी फोन उनसे दूर हो जाए तो उनमें चिड़चिड़ापन, बेचैनी, घबराहट, गुस्सा, व्यवहार में आक्रामकता, बातचीत ही बंद कर देना या खाना छोड़ देने जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। और जैसे ही उनके हाथ में स्मार्ट फ़ोन आते है उनका मूड ठीक हो जाता है।
ये ही कारण है कि अब अभिभावक बच्चों कि कौन्सेल्लिंग करवाने के लिए मजबूर हैं। मनोस्तिथि के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
अगर विषेशज्ञों कि मानें तो बच्चों को फ़ोन कि लत लगने से में अनिद्रा, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं। बच्चों में भूख न लगना, गर्दन में दर्द, सिर और आंखों में दर्द, आंखों की रोशनी कम होना, आदि शारीरिक समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं।
डॉक्टरों का ये भी कहना है कि अभिभावकों को बच्चों का रोल मॉडल बनना चाहिए और मोबाइल फ़ोन का उनके सामने कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
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