अक्सर हम दूध फटने के बाद पनीर बनाते हैं और उसके बाद जो पानी बचता है उसे फेंक देते हैं। जब हम दूध के पानी को फेंकते हैं तो एक बड़ी गलती कर देते हैं, वो बड़ी गलती है उस पानी को यूं ही फेंकने की। जबकि ये पानी प्रोटीन से भरपूर और बेहद पौष्टिक होता है। दूध के इस पानी का इस्तेमाल मांसपेशियों में ताकत बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कर सकते हैं।
दूध का पानी स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी होता है जैसे- मांसपेशियों की ताकत बढ़ाना, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, कैंसर और एचआईवी जैसे रोगों से बचाना, लो ब्लड प्रेशर ठीक करना, हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाना, मोटापा घटाना, पेट ठीक रखना और किडनियों को स्वस्थ रखना, आदि। इतनी सारी खूबियों वाले इस पानी का इस्तेमाल करने के कई तरीकें हैंः-
- आटे को गूंदने के लिये पानी की जगह फटे दूध के पानी का इस्तेमाल करें तो इससे रोटियां या परांठे नरम बनेंगे और प्रोटीन से भर जाएंगे।
- इस पानी को फल और सब्जियों के जूस में मिक्स भी कर सकते हैं। अगर आप हर सुबह जूस पीते हैं तो उसमें पानी की जगह इसे मिलाएं।
- कई सारी ग्रेवियों में खट्टा स्वाद पाया जाता है जो कि ज्यादातर टमाटर, अमचूर, इमली, दही या कोकम के इस्तमाल की वजह से होता है। इस पानी का प्रयोग करके खट्टेपन को कम किया सकता है।
- इस पानी का हल्का फ्लेवर होता है जिसे उपमा में मिलाने से उसका स्वाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
- चावल, पास्ता या सब्जी पकाएं अगर आपके पास ज्यादा मात्रा में पानी बच जाए तो उसे चावल, पास्ता या सब्जी पकाने के लिये इस्तेमाल करें।
- अगर आप सूप के बहुत शौकीन हैं, और अलग-अलग तरह के सूप पीना पसंद करते हैं तो सूप बनाते वक्त स्टॉक या पानी की जगह पर इसे डालें। सूप प्रोटीन और स्वाद से भर जाएगा।
- इससे बालों को धोएं बालों को शैंपू करने के बाद, दुबारा इस पानी से सिर को धोएं। फिर 10 मिनट तक ऐसे छोड़ दें और फिर हल्के गरम पानी से सिर को साफ कर लें। जब बाल सूख जाएं तब उसमें कंघी करें, जिससे बाल उलझे नहीं।
- त्वचा को कोमल बनाए इससे चेहरे को धो कर आप उसे मुलायम, टोन्ड, नरम और साफ बना सकती हैं। इस पानी में एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जो कि सिर और त्वचा का pH बैलेंस बनाए रखते हैं। अगर आपके पास बाथटब है तो उसमें 1-2 कप इस पानी को मिलाएं और उसमें खुद को 20 मिनट तक उस पानी में रहें।
- इस पानी को सादे पानी के साथ मिला कर पौधों को सींचे। इसे पानी में घोल कर ही प्रयोग करें क्योंकि यह बहुत ज्यादा एसिडिक होता है, जिससे पौधे जल सकते हैं।