करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और चंद्रमा की पूजा करती हैं। यह नीरजल व्रत होता है, जिसमें चांद देखने और पूजने के बाद ही अन्न व जल ग्रहण किया जाता है।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है। संकष्टी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए उपवास रखा जाता है। करवा चौथ के दिन मां पारवती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। मां के साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी कि भी पूजा की जाती है। वैसे इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस पूजा में पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य सुहागन महिला को दान में भी दिया जाता है।
यदि आप पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत कर रही हैं, तो आपको कुछ जरूरी कामों का ध्यान रखना चाहिए। सब कुछ करने के बाद भी यदि आपने इन कामों को नहीं किया गया तो आपको व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होगा।
व्रत को सफल बनाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान –
1. सास का बहू को सरगी देना बेहद जरूरी है। बहू के लिए ससुराल से मिलने वाली सरगी करवा चौथ के व्रत का बहुत जरूरी हिस्सा होती है। अपकी बहू व्रत शुरू करें इससे पहले ही आपको उसे कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देना चाहिए, इसे ही सरगी कहा जाता है।
2. करवा चौथ के दिन सूर्योदय होने से पहले सुबह लगभग चार बजे के आस-पास महिलाएं इसी सरगी को खाकर अपने व्रत की शुरुवात करती हैं।
3. अगर आपकी बेटी की शादि हो चुकी हैं, तो आपको उसके घर बाया भेजना चाहिए। यह रस्म मां और बेटी से जुड़ी है। इसमें करवा चौथ की पूजा शुरू होने से पहले मां अपनी बेटी के घर कुछ मिठाइयां, तोहफे और ड्राई फ्रूट्स भेजती है। इसे बाया कहा जाता है। यदि आप पूजा शुरू होने से पहले ही इसे बेटी के घर पहुंचा दे तो यह शुभ होता है।
4. कथा सुनना भी है ज़रूरी, कई महिलाओं को कथा सुनने में रुचि नहीं होती और इसी वजह से वे कथा में अपना ध्यान नहीं लगातीं। हालांकि इस त्योहार में जितना जरूरी व्रत और पूजा करना होता है, उतना ही जरूरी कथा सुनना भी होता है। इसलिए आपको पूरे मन से कथा सुननी चाहिए।
5. करवा चौथ के गीत भी गाएं, अक्सर इस दिन सभी महिलाएं एक जगह मिलकर कथा सुनती हैं और पूजा करती हैं। आपको भी इनमें हिस्सा लेना चाहिए, ऐसा करने से वातावरण शुद्ध होता है।