Categories: ओपिनियन

पहले मुर्गी या अंडा? बहस ख़त्म की जाए…

<p><span style=”color:#e74c3c”>तरुण श्रीधर , IAS</span><br />
( <span style=”color:#27ae60″>हिमाचल प्रदेश के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव और पूर्व सचिव ,भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा दैनिक जागरण समाचार पत्र में&nbsp;&nbsp; सितंबर 21, 2020 को छापा गया यह लेख समाचार फर्स्ट अपने पाठकों के लिए पेश करता है </span><span style=”color:#000000″>)</span></p>

<p>मुर्गा कब और कहां पालतू बना? दावेदार कई हैं, चीन से लेकर दक्षिण अमेरिका तक, पर विश्व के सबसे प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक और प्राकृतिक इतिहासकार चार्ल्स डार्विन के अनुसार पालतू मुर्गे का उद्गम लगभग 8000 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी, भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ। पशुपालन में मुर्गा ही सबसे प्राचीन पालतू पशु है और इसका श्रेय भारतवासियों को है। सदियों पालतू रहने के बाद और निरंतर आनुवंशिक सुधार के चलते अब मुर्गा/मुर्गी ही एकमात्र प्राणी है जो वर्ष में 365 दिन अंडे देने में सक्षम है। पशुपालन की दृष्टि से मुर्गा सबसे बहुमूल्य है।</p>

<p>लेकिन इससे पहले एक सवाल… पहले मुर्गी या अंडा? इस प्रश्न को गणित विज्ञान और दर्शन शास्त्र में &#39;अनंत प्रतिमा&#39; कहा जाता है। यदि &#39;अनंत&#39; तक अंधेरे में ही इसका उत्तर टटोलना है तो प्रश्न ही बेमानी है। इस सवाल की निष्फलता को आनुवंशिकी साक्ष्य भी प्रमाणित करते हैं। इन साक्ष्यों के अनुसार आज का विनम्र, दब्बू पालतू मुर्गी/मुर्गा इस धरा के सबसे भयानक विशालकाय दैत्य नुमा मांसाहारी जीव टायरेनोसौरस रेक्स (टी-रेक्स) का वंशज हैं। जी हां, साक्ष्यों के अनुसार पांच करोड़ से अधिक वर्ष तक पृथ्वी पर राज करने के बाद टी-रेक्स के क्रमिक विकास से उत्पन्न हुए थे मुर्गा/मुर्गी। यह बात लगभग एक करोड़ वर्ष पुरानी है पर अभी भी कुछ पुरखे प्राचीन पूर्वजों की भांति जंगलों में ही प्रवास करते हैं। है न अद्भुत कहानी! इस प्राणी की जीवन गाथा में रोमांच और भी हैं, और अनंत&#39; हैं।</p>

<p>एक रहस्य यह भी है कि यह शर्मिला जंगली पक्षी दुनिया के विविध और विभिन्न भागों में कैसे फैल गया। न तो इसमें प्रवासी के गुण थे और न ही लंबी उड़ान की क्षमता। मुर्गे के देश परिवर्तन का इतिहास मानव इतिहास से जुड़ा है। सिंधु घाटी सभ्यता के साथ व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शासकों की महत्वाकांक्षाओं के चलते युद्ध आदि के कारण मुर्गे का सफर भारत से पश्चिम एशिया से यूनान से शास्त्र होते हुए विश्वव्यापी हो गया।</p>

<p>मुर्गा पालतू तो बन गया पर अभी तक मनुष्य की खाद्य श्रृंखला का हिस्सा नहीं था। इसे पालतू बनाने की कारक थी मुर्गा बाजी। यह खेल जल्द ही पूरी दुनिया में सर्वाधिक लोकप्रिय हो गया था धीरे-धीरे मुर्गा धार्मिक एवं सांस्कृतिक अनुष्ठानों व गतिविधियों में आना शुरू हुआ। है यह कि जो पक्षी आज हमारे खाने की थाली में सजता है, वह एक समय मानवता को प्रेरित करता था। एक श्रद्धेय धार्मिक और आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में यूनानी सभ्यता की मान्यता सभी समाजों में प्रचलित रही है कि मुर्गा अंधकार पर मनुष्य की जीत का प्रतीक है। पुरातन चीन में इसे अनुशासन और सत्यता का प्रतिरूप मानते थे। यहूदी पौराणिक कथाओं में इसका संबंध शालीनता और विनम्रता से है। बाइबल में मुर्गे का संदर्भ चिरकालिक चौकसी से है और बौद्ध धर्म में गैर भौतिक इच्छाओं से। मिस्र वासियों के लिए मुर्गा समृद्धि का प्रतीक था और रोम में इसकी भविष्यवाणी की योग्यताओं की कसमें खाई जाती थीं। हिंदू धर्म में भी अनेकों उदाहरण हैं मुर्गे के प्रतीकात्मक प्रभाव। देव मुरुगण की पताका को यह सुशोभित करता है तो महाभारत के युद्ध में शिखंडी की पताका को भी। देवी अदिति के वाहन के रूप में बल एवं प्रतिष्ठा को भी विनम्र मुर्गा ही चित्रांकित करता है।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(7032).jpeg” style=”height:1007px; width:912px” /></p>

<p>आरंभिक साक्ष्य बताते हैं कि संगठित पोल्ट्री मिस्र में लगभग 3000 वर्ष पूर्व शुरू हुई जब इंक्युबेशन तकनीक के आविष्कार से मुर्गी के अंडे देने की क्षमता में वृद्धि हुई। प्राचीन समय में मुर्गे के मांस के सेवन को भोग विलास से जोड़ा जाता था। 161 ईसा पूर्व तक रोम में तो समाज में विलासिता और &#39;नैतिक पतन&#39; से चिंतित हो उस पर नियंत्रण करने के लिए कानून पारित किया गया कि एक समय चार-पांच व्यक्तियों की मेज पर एक से अधिक मुर्गे का मांस परोसना दंडनीय अपराध होगा।</p>

<p>आधुनिक पोल्ट्री का इतिहास नया है। चयनशील प्रजनन के साथ इसका आगमन उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में ही हुआ। घरेलू मुर्गी पालन से 1926 में रे विकसित हुआ व्यावसायिक ब्रॉयलर उद्योग जब एक अमरीकी महिला विल्मर स्टील ने मांस के लिए रे सफलतापूर्वक 500 मुर्गियों का प्रजनन करवाया। शीघ्र</p>

<p>पोल्ट्री संगठित उद्योग के रूप में उभरने लगा और पक्षियों का प्रजनन, प्रबंधन आदि वैज्ञानिक आधार पर होने लगे। साथ ही पशु स्वास्थ्य व बीमारियों पर भी शोध कार्य को प्राथमिकता मिली। इस कारण पोल्ट्री पक्षियों की मृत्यु दर 40 फीसद से गिरकर मात्र 5 फीसद हो गई। आज विकसित देशों की ही तर्ज पर भारतवर्ष में भी पशुपालन की अन्य गतिविधियों से अलग 80 फीसद पोल्ट्री संगठित क्षेत्र में है। 1950 के आसपास रेफ्रिजरेशन की तकनीक में व्यापक सुधार के बाद व्यावसायिक और घरेलू रेफ्रिजरेटर की मांग अचानक बहुत बढ़ गई और यह पोल्ट्री उद्योग के लिए वरदान साबित हुई। सबसे प्रभावशाली उपलब्धि रही है इस नस्ल के अतुलनीय आनुवंशिक सुधार की। इसका सहज अनुमान टी-रेक्स के चित्र को देखकर लग जाता है। विश्व के कुल 30 अरब कृषि संबंधित पशुओं में से 79 फीसद अर्थात 23.7 अरब तो मुर्गे-मुर्गियां ही हैं। न केवल यह दुनिया का सबसे आबाद घरेलू पशु है, बल्कि पिछले 30 वर्ष से मांस उद्योग में भी शीर्ष स्थान पर है।</p>

<p>यह कम दिलचस्प नहीं कि भोजन के रूप में श्रेष्ठता के अतिरिक्त मुर्गे की सांस्कृतिक प्रतीकात्मक पहचान आज भी सशक्त है। अभिप्रेरक लेखक प्रवक्ता जैक कैन्फील्ड ने लाखों लोगों की कल्पना शक्ति को वश में करने के साथ अरबों डॉलर भी कमाए अपनी पुस्तक श्रृंखला &#39;चिकन सूप फॉर दी सोल&#39; के माध्यम से; इन पुस्तकों के लेखक ने चिकन को मनोवैज्ञानिक व आत्मिक धैर्य के रूपक की उपमा दी है। वर्ष 2001 में ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री रॉबिन कुक ने देश के विविध विचारधाराओं से संबद्ध सम्मानित बुद्धिजीवियों के एक विचार मंच को संबोधित करते हुए कहा कि चिकन टिक्का मसाला एक आदर्श उदाहरण है कि किस प्रकार &#39;ब्रिटेन द्वारा बाहरी प्रभावों को अवशोषित व ग्रहण किया गया है। भारतीय व्यंजन चिकन टिक्का को ब्रिटेन की राष्ट्रीय डिश के तौर पर भी मान्यता है। बकौल रॉबिन कुक यह ब्रिटेन की बहुसंस्कृतिवाद के प्रति वचनबद्धता को इंगित करता है। है न मजेदार बात कि भूना मसालेदार मुर्गा भी समाज में आपसी सांस्कृतिक सामंजस्य का प्रतीक बनकर उभरा है। ऐसे में यह प्रश्न वाकई निरर्थक कि पहले कौन मुर्गी या अंडा।</p>

Samachar First

Recent Posts

राधास्वामी सत्संग अस्पताल की भूमि के लिए ऑर्डिनेंस लाएगी सुक्खू सरकार

Bhota Hospital Land Transfer: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राधास्वामी सत्संग व्यास अस्पताल भोटा की…

2 hours ago

सामाजिक सरोकार में अग्रणी मंडी साक्षरता समिति को मिला विशेष सम्मान

Mandi Literacy Committee: हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने शनिवार को शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय…

5 hours ago

हिमाचल में ठगी का बड़ा मामला: सेवानिवृत्त अधिकारी से एक करोड़ रुपये हड़पे

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है,…

5 hours ago

शिमला में सोनिया-राहुल और प्रिंयका, वायनाड जीत के बाद नई राजनीतिक तैयारी पर चर्चा!

Priyanka Gandhi Wayanad victory: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी जल्द ही हिमाचल प्रदेश के शिमला पहुंचेंगी।…

5 hours ago

उच्च पर्वतीय इलाकों में हिमपात से राहत , मैदानी क्षेत्रों में धूप ने बढ़ाई परेशानी

First Snowfall at Atal Tunnel: प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में 53 दिनों के लंबे…

7 hours ago

साल 2025 के त्योहार: जानें व्रत और पर्व की पूरी सूची

Major Indian festivals 2025: साल 2024 अब समाप्ति के करीब है और कुछ ही दिनों…

7 hours ago