Categories: ओपिनियन

अंतिम मोड़ पर कांग्रेस की कलह, किस तरफ होगी पार्टी की सत्ता?

<p>हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे के धर्मशाला दौरे ने कांग्रेस के भीतरी कलह को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा दिया है। वह इसलिए कि पार्टी के दोनो धड़े अब खुलकर एक-दूसरे पर अटैक करते नज़र आ रहे हैं। क्योंकि, अभी तक बातचीत मर्यादित और पर्दे के भीतर चल रही थी वह अब खुलकर मंच से सुनाई दे रही है। बुधवार को जहां मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला की जनसभा में पार्टी के भीतर काला और सफेद कौआ का जिक्र किया, वहीं नगरोटा बगवां की जनसभा में शिंदे के सामने असली काली भेड़ों को पहचनाने की नसीहत दी गई।</p>

<p>मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला में पार्टी के भीतर बीजेपी एजेंटों के शामिल होने की बात कही और अपने पीछे छुरा लेकर चलने वालों का हवाला दिया। तो वहीं, दूसरे धड़े की तरफ से भी खुलेआम प्रतिक्रिया देखने को मिली। नगरोटा बगवां की जनसभा में पूर्व विधायक निखिल ने मुख्यमंत्री की विश्वसनीयता को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। निखिल ने कहा कि एक वक़्त में वीरभद्र सिंह ने उन्हें अपने ही प्रत्याशी को हराने और निर्दलीय को जीताने के निर्देश दिए थे।</p>

<p>नगरोटा की जनसभा में जीएस बाली भी जमकर गरजे। इस बार जीएस बाली काफी साफ-साफ अंदाज में सीएम वीरभद्र के नेतृत्व को खारिज करते हुए दिखाई दिए। उनके भाषण से साफ था कि वह आलाकमान से एक ठोस निर्णय लेने की मांग कर रहे थे। बाली ने स्पष्ट तौर पर शिंदे को मंच से कह दिया कि वह अब कोई ठोस निर्णय लें। जीएस बाली ने सुक्खू के पक्ष में भी उतरते हुए कहा कि सभी को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मान-सम्मान बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी से सरकार है ना कि सरकार से पार्टी।</p>

<p>यही, नहीं कांगड़ा में हुए विधायक दल और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में भी वीरभद्र और जीएस बाली के समर्थकों की आवाज उठती दिखाई दी। कांग्रेस का एक धड़े ने खुले तौर पर जीएस बाली को सीएम कैंडिडेट बनाए जाने की वकालत कर दी।</p>

<p>ऐसे में यह साफ है कि कांग्रेस का आंदरूनी कलह अब आखिरी मोड़ पर है। क्योंकि, दोनों ही पक्ष खुलकर अब अपने मन की बातें प्रदेश प्रभारी के समक्ष रखने लगे हैं। दोनों ही धड़ों के कार्यकर्ता अब अपनी बात सामने पेश कर रहे हैं। एक तरफ जहां शिमला में मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं के जरिए अपना दमखम दिखाया तो कांगड़ा में कार्यकर्ताओं की बगावत उनके खिलाफ देखने को मिली। अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार शिंदे और सहप्रभारी रंजीत रंजन के सामने एक ही विकल्प है कि वह किसकी सुनती हैं। क्योंकि, राजनीति की इस नए पड़ाव से सिर्फ एक ही राह जाती नज़र आ रही है और इसमें बीच का रास्ता बनाने की कोई गुंजाइश भी नहीं है।</p>

Samachar First

Recent Posts

कांगड़ा जिला को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए राज्य में मिला पहला स्थान

Kangra District disaster management: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कांगड़ा जिला को स्वयंसेवियों के…

2 hours ago

सांगला-छितकुल सड़क को नया जीवन देगा बीआरओ

Karcham-Sangla-Chitkul Road: जनजातीय जिला किन्नौर में चीन सीमा से सटी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण…

3 hours ago

रोट में खोट और राशन, बकरा घोटालों के बाद बाबा बालक नाथ न्यास में नए ट्रस्टियों की एंट्री

  Baba Balak Nath Temple Trust: पहले राशन घोटाला फिर बकरा निलामी पर किरकिरी और…

4 hours ago

हमीरपुर में माकपा का प्रदर्शन, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर हल्‍ला बोल

CPI(M) protest in Hamirpur: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने हमीरपुर में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बिजली,…

4 hours ago

हाटी जनजाति दर्जे का मामला: हाईकोर्ट में 16 दिसंबर को होगी सुनवाई

Hati community tribal status: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने के…

4 hours ago

मंडी में रोजगार: युवाओं के लिए हीरो मोटो कॉर्प में 200 पद, जानें डिटेल

Hero MotoCorp recruitment 2024: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) ग्रेड ए मंडी में 29 नवंबर को…

4 hours ago