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विचार: हिमाचल में एम्स की स्थापना पर सियासत और इसके परिणाम

विवेक अविनाशी |

हिमाचल प्रदेश में आयुर्विज्ञान संस्थान किस जिला में खुलेगा इसको ले कर सियासत में भारी हलचल है हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने विगत 23 अगस्त को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगतप्रकाश नड्डा सेअनुरोध किया है कि बिलासपुर के कोठीपुरा में स्थान का निरीक्षण कर आगामी 30 अगस्त तक जगह का मसला तय किया जाए ताकि आगामी सितंबर में प्रस्तावित प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान  प्रधानमंत्री द्वारा इस महत्वपूर्ण संस्थान की आधार शिला  रखी जा सके। अपने पत्र में उन्होंने यह भी दावा किया है कि हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के कोठीपुरा क्षेत्र में इस संसथान की स्थापना का निर्णय  तभी लिया जा चुका था जब हिमाचल के लिए एम्स की घोषणा वर्तमान NDA सरकार ने वर्ष 2014 में की थी।

देश  के विभिन्न राज्यों में एम्स जैसे अति आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं वाले संस्थान प्रधानमन्त्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के अंतर्गत खोले जाते हैं। केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय  द्वारा इस योजना के सम्बंध में प्रदत जानकारी के अनुसार PMSSY का लक्ष्य देश के विभिन्न भागों में अफोर्डेबल स्वास्थ्य देख-रेख  सुविधायें प्रदान कर क्षेत्रीय असंतुलन में सुधार करना है। इस योजना  के  दूसरे उद्देश्य  में उन राज्यों में जहां श्रेष्ठ चिकित्सा शिक्षा का अभाव है, चिकित्सा शिक्षा सुविधाओं में विस्तार करना भी शामिल है। इसके तहत मेडिकल कालेजों का खोलना और उनके बुनियादी ढांचे में विस्तार शामिल है।

हिमाचल प्रदेश में एम्स की स्थापना की घोषणा केन्द्रीय वित्तमंत्री ने 2015-2016 के बजट में की थी l इस अवसर पर हिमाचल सहित जम्मू- कश्मीर, पंजाब , तमिलनाडू , बिहार ,गोहाटी में भी एम्स खोलने  की घोषणा की गयी थी l  इस घोषणा के अनुरूप बिहार और तमिलनाडू  और हिमाचल को छोड़ कर बाकी सभी राज्यों में एम्स  निर्माण का काम अग्रिम चरण में है। जम्मू- कश्मीर और भटिंडा के लिए तो धनराशी तक निर्धारित हो चुकी है। कश्मीर के पुलवामा में 1810 करोड़ की लागत से और जम्मू डिविजन के विजयपुर में 1610 करोड़ की लागत से एम्स का निर्माण प्रस्तावित है। भटिंडा में 925 करोड़ रूपये की लागत से एम्स  बन रहा है।

मंत्रालय के कागजों केअनुसार जो मानक PMSS योजना के अनुरूप  एम्स खोलने के लिए निर्धारित किये गए हैं उसके आधार पर  स्थान के निर्णय  में जो रिपोर्ट साईट निरीक्षण की है उस पर विचार चल रहा है। वैसे एम्स के निर्माण में 5-6 वर्ष लगना तो साधारण सी बात है लेकिन यदि इसी तरह से देरी से कार्य हुआ तो अगले 10 सालों तक हिमाचल के लोगों को यह  सुविधा मिल पाए ऐसा नहीं लगता। 

(ऊपरोक्त विचार वरिष्ठ स्तंभकार विवेक अविनाशी के हैं। विवेक अविनाशी काफी लंबे अर्से से हिमाचल की राजनीति पर टिप्पणी लिखते रहे हैं और देश के नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में इनके विचार पब्लिश होते रहे हैं।)