<p>हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों में गणित विषय को ले कर अत्यंत ही निराशाजनक स्थिति है। तीसरी और पांचवीं कक्षा तक इन स्कूलों के बच्चे गणित विषय में अच्छा प्रदर्शन करते हैं लेकिन आठवीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते इन स्कूलों के बच्चे गणित विषय में अपनी रूचि खो बैठते हैं l</p>
<p>भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के तत्वावधान में गत वर्ष नवंबर महीने में राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद (NCERT) द्वारा देश के 36 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 10,000 स्कूलों में विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में छात्रों को लेकर एक सर्वेक्षण किया गया था जिसके तहत हिमाचल प्रदेश के लगभग 500 से अधिक सरकारी स्कूलों के छात्रों के भाषा, गणित, सोशल स्टडीज विषयों के प्रदर्शन का आकलंन किया गया। </p>
<p>इस सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश का मंडी ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां 40 प्रतिशत छात्रों का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। प्रदेश के अन्य जिलों में यह प्रतिशतता 40 से कम ही रही है। जनजातीय जिला लाहुल-स्पीती और चंबा में यह प्रतिशतता सबसे कम रही है। जिसका अर्थ यह है कि इन जिलों के सरकारी स्कूलों में गणित की पढ़ाई बच्चों को रास नहीं आ रही।</p>
<p>हिमाचल प्रदेश के 12 ज़िलों में 10,756 प्राथमिक स्कूल हैं और 2103 मिडिल स्कूल हैं । मज़ेदार बात यह है कि तीसरी और पांचवीं में पढ़ने वाले इन स्कूलों के बच्चे बड़ी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों की तुलना में अधिक तेज़ हैं और उनका प्रदर्शन आठवीं क्लास के छात्रों की तुलना में कहीं ज़्यादा बेहतर रहा है। मंडी ज़िला में तो इस सर्वेक्षण में छात्राओं का गणित में प्रदर्शन ज़िला के औसत प्रदर्शन से भी अच्छा रहा है।</p>
<p>आबादी के हिसाब से प्रदेश के सबसे बड़े ज़िले कांगड़ा की भी कमोवेश स्थिति ऐसी ही है । यहां 61 स्कूलों के तीसरी क्लास के 577 और 5वीं क्लास के 540 छात्रों में गणित विषय के प्रदर्शन का सर्वेक्षण किया गया जिनमे तीसरी क्लास के 76.12 प्रतिशत बच्चों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया, पांचवीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते यह प्रतिशतता 62.36 प्रतिशत रह गई।</p>
<p>ज़ाहिर है छोटे बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ गणित विषय में रूचि कम होती गई । फ़िसड्डी ज़िलों में जनजातीय ज़िला लाहौल-स्पीति, चंबा और सिरमौर रहे हैं। इस सर्वेक्षण के परिणामों पर यदि विचार किया जाए तो साफ ज़ाहिर होता है कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों और पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय में छात्रों की नींव पुख़्ता और मज़बूत बनाने के लिए प्रदेश के शिक्षा विभाग को अतिरिक्त श्रम और इन क्षेत्रों के स्कूलों में गणित के पठन-पाठन के लिए विशेष निगरानी रखनी पड़ेगी अन्यथा भविष्य की दौड़ में इन क्षेत्रों के बच्चे देश के अन्य राज्यों के बच्चों से काफ़ी पीछे रह जाएंगे।</p>
<p><strong><em><span style=”color:#c0392b”>(ऊपरोक्त विचार वरिष्ठ स्तंभकार विवेक अविनाशी के हैं। विवेक अविनाशी काफी लंबे अर्से से हिमाचल की राजनीति पर टिप्पणी लिखते रहे हैं और देश के नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में इनके विचार पब्लिश होते रहे हैं।)</span></em></strong></p>
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…