कृषि मंत्री रामलाल मारकण्डा ने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस खरीफ मौसम में भी जारी रहेगी। वर्तमान खरीफ मौसम में ऋणी और गैर ऋणी किसानों द्वारा मक्की और धान की फसलों पर बीमा करवाने की अन्तिम तिथि 15 जुलाई, 2020 निर्धारित की गई है। यह योजना गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है। योजना के अंतर्गत सभी ऋणी किसानों का वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वतः ही बीमा कर दिया जाएगा।
यदि कोई ऋणी किसान इस योजना का लाभ नहीं उठाना चाहते हैं तो वह इस बारे में अपना घोषणा पत्र सम्बन्धित बैंक में वर्षभर कभी भी जमा करवा सकते हैं। यह घोषणा पत्र ऋणी किसान को सम्बन्धित बैंक शाखा को सम्बन्धित मौसम की ऋण लेने की अन्तिम तिथियों से कम से कम 7 दिन पूर्व तक देना होगा। प्रदेश सरकार ने इसकी अधिसूचना 24 जून, 2020 को जारी की है।
प्रतिकूल मौसम से किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है और आर्थिक हानि होती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की फसलों को बुआई से लेकर कटाई तक प्राकृतिक आपदाओं जैसे आग, बिजली, सूखा, शुष्क अवधि, आंधी, ओलावृष्टि, चक्रवात, तुफान, कीट व रोगों आदि से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति, करना है। इसके अलावा अगर किसान कम वर्षा या प्रतिकूल मौसमी व्यवहार के कारण समय पर बुआई नहीं कर पाता है तो भी उसे बीमा आवरण मिलेगा।
यह योजना लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिला को छोडकर सभी जिलों के लिए है। इन जिलों को 2 वर्गों में बांटा गया है। चम्बा, हमीरपुर, कांगडा और ऊना वर्ग 1 में शामिल हैं तथा वर्ग 2 में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन, सिरमौर शामिल हैं। सभी जिलों में किसानों का बीमा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी आफ इंडिया लिमेटेड करेगी। मक्की और धान दोनों फसलों के सामान्य कवरेज पर राशि 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर है। प्रीमियम की दर किसानों के लिए बीमित राशि के अनुसार 2 प्रतिशत रखी गई है।
कृषि मंत्री ने किसानों का आह्वान किया कि फसलों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए फसलों का बीमा करवायें। इसके लिए वे अपने नजदीक की प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं, ग्रामीण बैंकों तथा वाणिज्यिक बैंकों से सम्पर्क करें। इस बारे में अपने नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी व खण्ड स्तर पर तैनात विष्यवाद विशेषज्ञ का भी सहयोग ले सकते हैं।