<p>हिमाचल में चुनावों के नतीजे आने में महज 4 दिन बचे है। नई सरकार के आते ही प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ होगा। एक अखबार ने आंकड़े जुटाए है जो चुनाव के नतीजों से पहले हिमाचल की फाइनेन्शियल हेल्थ पर एक नजर डालता है। इसमें तीन पैरामीटर्स को चुना गया है जो प्रदेश के पिछले 3 साल के वितीय कोष की हेल्थ को दर्शाते है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>Gross Fiscal Deficit </strong></span></p>
<p>हिमाचल का राजकोषीय घाटा 2014-15 में 4 फिसदी था जबकि 2016-17 में हिमाचल का राजकोषीय घाटा 3.1 फिसदी हो गया है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>Revenue Deficit:</strong></span></p>
<p>हिमाचल में रेवेन्यू घाटा 2016-17 में 0.40 फिसदी बढ़ गया है। जबकि 2014-15 में रेवेन्यू घाटा 3.1 फिसदी था।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>Social Expenditure: </strong></span></p>
<p>यदि हिमाचल में सामाजिक खर्च पर नजर डालें तो ये खर्च 2016-17 में 40 फिसदी हो गया है जो 2014-15 में 37.5 था।</p>
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<p>Data Source: Reserve bank of India</p>
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