बंगाल ने कितने ही क्रांतिकारियों को जन्म दिया है, उनमें से एक महान क्रांतिकारी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे। पावन बंगभूमि से पैदा हुए डॉ. मुखर्जी ने अपनी प्रतिभा से समाज को चमत्कृत किया था। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने यह बात कही है। एक देश में दो विधान दो निशान दो प्रधान के धुर विरोधी रहे डॉक्टर मुखर्जी ने सर्वप्रथम जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने की जोरदार आवाज उठाई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहां का मुख्यमंत्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमत्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ. मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार के भारत विभाजन के षड्यन्त्र के समय डॉ. मुखर्जी ने प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया था और आधा बंगाल और आधा पंजाब भारत के लिए बचा लिया था। अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में एक गैर-कांग्रेसी मंत्री के रूप में डॉ मुख़र्जी ने उद्योग मंत्रालय का काम संभाला। उन्होंने देश में रेल इंजन और जहाज बनाने व खाद के कारखाने स्थापित करवाए। उनके सहयोग से ही हैदराबाद निजाम को भारत में विलीन होना पड़ा। राष्ट्रवादी चिंतन और राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी प्राथमिकता मानने वाले डॉक्टर मुखर्जी ने भारत के प्रथम मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ के नाम से नई पार्टी की स्थापना की थी।