भाजपा ने टिकट क्या बांटी तीनों ही विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा बंट गई। पहाड़ से लेकर मैदान तक भाजपा में बग़ावत हो गई। शिमला की जुब्बल कोटखाई में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा के सपुत्र चेतन बरागटा का टिकट जैसे ही कटा जुब्बल कोटखाई भाजपा में घमासान मच गया। मचता भी क्यों नहीं चेतन बरागटा ने नामांकन पत्र तक दाख़िल करने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था यहां तक कि सामियाना तक लगा लिया गया था। लेकिन उनकी धुर विरोधी रही नीलम को टिकट मिल गई। फ़िर बग़ावत तो होनी ही थी। अब चेतन बरागटा ने आज़ाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फ़ैसला कर लिया है। शिमला में पहले ही कमजोर रही भाजपा के लिए ये बड़ा झटका हो सकता है।
अब अर्की की बात कर लेते हैं। अर्की में पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके रतन सिंह पाल पर भाजपा ने दांव खेल दिया। भाजपा की सूची आते ही विरोधी धड़े ने विरोध का बिगुल फूंक दिया। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले लगातार 2 चुनाव लड़ चुके गोविन्द शर्मा ने आशा परिहार के साथ अपनी ही पार्टी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। अर्की से गोविन्द शर्मा ने भी चुनावी हुंकार भर दी है और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरने का ऐलान कर दिया है। भाजपा प्रत्याशी के ख़िलाफ़ सीधा विद्रोह कर दिया गया है। उनका कहना है कि पिछली बार चुनाव हार चुके उम्मीदवार को टिकट देना भाजपा का गलत फ़ैसला है। हालांकि विरोध कांग्रेस के संजय अवस्थी का भी हुआ है लेकिन सत्ता दल के बीच ये बग़ावत सिहांसन को हिला सकता है।
उधर, फतेहपुर में भी भाजपा की राह आसान नहीं है। बलदेव ठाकुर को टिकट मिलते ही विरोधी धड़े के कई लोगों ने इस्तीफ़े तक दे डाले हैं। वैसे भी सत्ता के लिए कांगड़ा से ही राह बनती है। ऐसे में फतेहपुर का चुनाव दोनों ही दलों के लिए सत्ता की सीढ़ी है। भाजपा के ख़िलाफ़ कभी भाजपा में मंत्री से सांसद रह चुके राजन सुशांत भी मुश्किलें खड़ी किए हुए है। महंगाई और बेरोज़गारी चरम पर है। ऐसे में सरकार और मोदी के सहारे भाजपा की नैया कहां तक पार लगती है ये देखना दिलचस्प होगा।
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