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क्या चंडीगढ़ के कर्मचारियों को मिल सकती हैं केंद्रीय सुविधाएं? अमित शाह के बयान पर सियासत

डेस्क |

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों पर केंद्रीय सर्विस नियम लागू करने के ऐलान के बाद से सियासत गरमाई हुई है. इस फैसले का सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और अन्य दलों ने निंदा की है. कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने भी इस फैसले पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, ‘चंडीगढ़ पर नियंत्रण और पंजाब के अधिकारों को हड़पने के भाजपा के तानाशाही फैसले की हम कड़ी निंदा करते हैं.” हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान या उनके मंत्रियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चंडीगढ़ केंद्र शासित क्षेत्र प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तें अब केंद्रीय सिविल सेवाओं के अनुरूप होंगी और इसका उन्हें ‘‘बड़े पैमाने” पर फायदा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि महिला कर्मचारियों को शिशु की देखभाल के लिए मौजूदा एक साल के अवकाश की जगह अब दो साल का अवकाश मिलेगा.

इस मामले पर आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘2017 से 2022 तक कांग्रेस ने पंजाब पर शासन किया. अमित शाह ने तब चंडीगढ़ की शक्तियां नहीं छीनी थीं. पंजाब में आप की सरकार बनते ही अमित शाह ने चंडीगढ़ की सेवाएं छीन लीं. आप के बढ़ते कदमों से बीजेपी डरी हुई है. ”

शाह ने कहा, ‘‘मैं चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को एक अच्छी खबर देना चाहता हूं. आज से, चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तें केंद्रीय सिविल सेवा के अनुरूप होंगी. आपको (कर्मचारियों को) काफी फायदा होने जा रहा है.”

केंद्रीय मंत्री ने यहां चंडीगढ़ पुलिस की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद यह घोषणा की. शाह ने कहा कि केंद्र शासित क्षेत्र में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 साल से बढ़ा कर 60 साल कर दी गई है.

कर्मचारियों के लिए घोषणा पर उन्होंने कहा, ‘‘यह चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों की लंबे समय से की जा रही मांग थी. आज, मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.” उन्होंने कहा, ‘‘कल एक अधिसूचना जारी की जाएगी और आगामी वित्त वर्ष (एक अप्रैल से) आपको फायदा मिलेगा. ”

हालांकि, मंत्री की घोषणा की शिरोमणि अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने एक ट्वीट में आलोचना करते हुए कहा, ‘‘केंद्र सरकार के नियमों को चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर थोपने का गृह मंत्रालय का फैसला पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावना का उल्लंघन है और इसपर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. ” उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब पंजाब को हमेशा के लिए राजधानी के अधिकार से वंचित करना है. भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों पर एक और कुठाराघात है. ”