<p style=”text-align:justify”>भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव संजय चौहान ने नगर निगम शिमला द्वारा प्रस्तुत द्वितीय बजट केवल पिछले नगर निगम द्वारा प्रस्तुत बजट की ही कॉपी पेस्ट किया गया दस्तावेज बताया है। उन्होंने कहा कि पिछले नगर निगम द्वारा वर्ष 2016-17 और वर्ष 2017-18 के बजट में जिन योजनाओं की प्रस्तावना की गई थी उन्हीं का जिक्र पिछले बजट में भी किया गया था और इस वर्ष के बजट में भी अधिकांश वहीं प्रस्तावित की गई है। इससे स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी शासित नगर निगम का लगभग गत दो वर्षो का कार्यकाल पूर्णतः विफल रहा है और शिमला शहर की जनता को कुछ भी नया नहीं दे पाई है।</p>
<p style=”text-align:justify”>संजय चौहान ने कहा कि यह बजट बिल्कुल ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बनाया गया आंकड़ों का केवल हेर फेर हैं। बजट में आय के स्रोतों में वर्ष 2017-18 की तुलना में 38% की गिरावट देखी गई है। क्योंकि दिसम्बर, 2016 तक नगर निगम की अपने स्रोतों से आय 5687.52 लाख रुपये थी जो इस वर्ष दिसम्बर, 2018 में गिरकर 3504.18 लाख रुपये रह गई है। जिसके चलते नगर निगम अपने नियमित व्यय को भी अपने संसाधनों से नहीं जुटा पाया है।</p>
<p style=”text-align:justify”>उन्होंने कहा कि योजना खर्च जिससे विकासात्मक कार्यो पर किये जाने वाले खर्च के लिए जमा एफडी को तोड़कर गैर योजना खर्च जिसमें वेतन आदि सम्मिलित है किया जा रहा है। जिससे स्पष्ट है कि नगर निगम वित्तीय संकट में चला गया है। जबकि पूर्व नगर निगम के अंतिम बजट वर्ष 2017-18 को देखा जाये तो इस बजट में 4453.50 लाख रुपये का व्यय आय से कम प्रस्तावित था, जोकि सरप्लस बजट था। चौहान ने कहा कि आज के बजट में गत वर्ष की तुलना में 1607.23 लाख रुपये का घाटा दर्शाया गया है। इससे नगर निगम का वित्तीय संकट और अधिक बढ़ेगा।</p>
<p style=”text-align:justify”>चौहान ने कहा कि बजट में आज भी पिछले समय से चली आ रही योजनाओं का ही जिक्र किया गया है।निर्माणाधीन पार्किंग, पार्क, सामूदायिक भवन,एम्बुलेंस रोड,ओवरब्रिज आदि का ही हवाला दिया गया है। परंतु यह योजनाए कब पूर्ण होगी इसका कोई भी वचनबद्धता इसमे नहीं है। तहबाजारियों को बसाने की योजना पूरी तरह से ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। शहरी गरीब, महिलाओं, मजदूरों के लिए जो पूर्व नगर निगम के द्वारा योजनाएं निर्धारित की गई थी वह बन्द कर दी हैं क्योंकि इस बजट में लेबर होस्टल के निर्माण, शहरी गरीब और महिलाओं के लिए जो प्रावधान किए गए थे उन्हें इससे हटा दिया है। युवाओं व बुजुर्गों के लिए भी बजट में कुछ भी ठोस रूप से दर्शाया नहीं गया है। <br />
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उनका कहना है कि बजट में स्पष्ट है कि बीजेपी शासित नगर निगम आपनी पार्टी की सरकार प्रदेश में होने के बावजूद कोई अतिरिक्त ग्रांट प्राप्त करने में पूर्णतः विफल रही है। कोई भी अतिरिक्त सहायता सरकार की ओर से नहीं मिली हैं। नगर निगम ने प्रदेश सरकार से 100 करोड़ रुपये की कैपिटल ग्रांट की मांग सदैव ही रखी है परन्तु यह पूर्ण नहीं कि गई है। हैरानी की बात तो यह है कि सांसद और विधायक बीजेपी के होने के बावजूद इस बजट से स्पष्ट हो गया है कि नगर निगम कोई भी पैसा विधायक व सांसद निधि से लेने में पूरी तरह से विफल रहा है।</p>
<p style=”text-align:justify”>संजय ने कहा कि पूर्व नगर निगम द्वारा चलाई गई योजनाओं को ही इस बजट में रेखांकित कर विकास दिखाने का प्रयास किया गया है। अपनी कोई भी नई योजना बजट में नहीं डाली गई है। उन्होंने कहा कि नगर निगम का बजट बीजेपी शासित नगर निगम की विफलता का परिचायक हैं और शिमला की जनता के साथ धोखा है।</p>
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