शिमला: सिरमौर ज़िला के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को हिमाचल प्रदेश में एसटी का दर्जा देने वाले वाले क़ानून को राज्य सभा से पास होने पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हाटी समुदाय के लोगों को बधाई दी है।
उन्होंने कहा कि हमने जो कहा, वह करके दिखाया है। यह विधेयक लोक सभा में पिछली सत्र के दौरान ही पास हो गया था। राज्य सभा में इस विधेयक पर मुहर लगनी बाक़ी थी लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षियों द्वारा सदन की कार्यवाही न चलने देने के कारण हाटी समुदाय का यह विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत नहीं हो पा रहा था।
बुधवार को यह विधेयक राज्य सभा में चर्चा के बाद पारित हो गया। उन्होंने इस विधेयक का सहयोग करने वाले सभी सांसदों के प्रति आभार व्यक्त किया । नेता प्रतिपक्ष ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के प्रति विशेष आभार प्रकट किया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने जो वादा किया वह करके दिखाया। हमने कहा था कि हाटी समुदाय के लोगों को एसटी का दर्जा मिलेगा। हाटी को एसटी का दर्जा न मिले इसके लिए विपक्ष ने रोड़े अंटकाये। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। पिछली बार भी कांग्रेस के गतिरोध के चलते यह विधेयक चर्चा के लिए राज्य सभा में पेश नहीं होने पाया था और इस बार भी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने सदन न चलने देने के प्रयत्न किए लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाये।
55 साल पहले मिल जाना चाहिए था हक़
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र की भौगोलिक रूप से एक दुर्गम क्षेत्र है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से हार्टी समुदाय के लोग निवास करते हैं। भौगोलिक रूप से दुर्गम इस क्षेत्र के लोगों की 55 वर्षों से यह मांग थी कि गिरिपार क्षेत्रों को जनजाति क्षेत्र घोषित किया जाए क्योंकि यह कबीला उन सभी मानकों को पूरा करता है जो एक जनजातीय घोषित करने के लिए आवश्यक हैं लेकिन कोई निराकरण तत्कालीन सरकारों के द्वारा नहीं किया गया। केंद्र सरकार के इस फ़ैसले का सवा दो लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
हमने शुरू किया हमने अंजाम तक पहुंचाया
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की पहल हमने शुरू की थी। गिरिपार की कठिन परिस्थिति को देखते हुए सबसे पहले 2009 के घोषणापत्र में हमनें क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की पहल की और हमने इसे अंजाम तक पहुंचाया। उन्होंने कहा हाटी समुदाय को यह दर्जा 1968 में ही मिल जाना चाहिए था जब उत्तराखंड के जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को मिला था क्योंकि हाटी समुदाय और जौनसारी समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक के साथ ही भौगोलिक समानता भी थी। तब गिरिपार के साथ अन्याय हुआ था।
लंबी लड़ाई के बाद हासिल हुआ लक्ष्य
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की दिशा में सबसे अहम कार्य वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार हिमाचल प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में हमने एक नोडल एजेंसी का गठन किया।
जिसमें अहम भूमिका अदा करते हुए सभी शोध पत्रों को एकत्रित कर क्षेत्र की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्तर पर हर पहलू को जांचा परखा और तत्काल इस रिपोर्ट को हिमाचल प्रदेश की कैबिनेट द्वारा केंद्र सरकार को वर्ष 2021 में भेजा गया।
जिस पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तुरंत संज्ञान लेते हुए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को तत्काल कार्यवाही कर हाटी जनजाति को 13 अप्रैल 1922 को एक कबीले के रूप में पंजीकृत किया। इसके बाद 16 दिसंबर 2022 को केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा से इसे पारित किया गया और आज 26 जुलाई 2023 को राज्यसभा से भी पारित हो गया।
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