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पर्यटन नगरी डलहौज़ी का नाम बदलने पर कांग्रेस नाराज़, CM ने भी काटी कन्नी

पी. चंद |

राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय को पत्र लिखकर डलहौजी का नाम बदलकर सुभाषनगर रखने के मामले में विधायक आशा कुमारी ने कहा कि डलहौजी का नाम बदलने का कोई निर्णय सरकार न ले। उन्होंने कहा कि पर्यटन नगरी जोकि देश-विदेश में डलहौजी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां के स्थानीय निवासी शहर का नाम नहीं बदलना चाहते हैं और शहर का नाम बदलने के विरोध में हैं। लिहाजा सरकार स्थानीय लोगों की भावनाओं को मान सम्मान देते हुए डलहौजी का नाम बदलने जैसा कोई कदम न उठाए।

आशा कुमारी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का डलहौजी की जनता भी पूरा मान-सम्मान करती है। डलहौजी एक पर्यटन स्थल है जहां देश-विदेश से सैलानी आते हैं जिससे पर्यटन कारोबारी आजीविका अर्जित करते हैं। विश्वभर में यह शहर डलहौजी के नाम से ही विख्यात है। इसका नाम बदलने से पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होगा।

बता दें कि डलहौजी के नाम को बदलने की मांग पहले भी उठती रही है। जयराम ठाकुर सरकार के दौरान भी ये मांग भाजपा डलहौज़ी के कुछ लोग कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी इसका शुरू से ही विरोध करती रही है। वहीं, जब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से डलहौजी का नाम बदलने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डलहौजी का नाम बदलने काम मामला उनके ध्यान में नहीं आया है न ही इस तरह का अभी कोई विचार है। उन्होंने कहा कि सरकार की नाम बदलने की कोई मंशा भी नहीं है।

गौरतलब है कि डलहौजी को ब्रितानिया हकूमत के दौरान वर्ष 1854 में कर्नल नेपियर ने पांच पहाड़ियों पर बसाया था। लार्ड डलहौजी के नाम पर इस शहर का नाम रखा था। 1873 में रवींद्रनाथ टैगोर डलहौजी आए थे। साल 1937 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी डलहौजी पहुंचे थे। इसीलिए इस शहर का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रखने की मांग भाजपा के समय उठती रही है।

इसी कड़ी में पर्यटन नगरी डलहौज़ी के नाम को बदलने को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने हिमाचल के राज्यपाल को एक खत लिखा है जिसमें डलहौजी के नाम को बदलकर नेताजी नगर रखने की मांग उठाई गई है। गवर्नर लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखे गए इस पर्यटन स्थल के नाम पर कई संगठनों व लोगों को आपत्ति है। दत्तात्रेय को लिखे पत्र में कहा है कि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अजय जग्गा की पुरानी मांग पर विचार करते हुए इस शहर का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर कर दिया जाए। 

स्वामी ने वर्ष 1992 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने इसे लेकर जारी की गई एक अधिसूचना का भी हवाला दिया है। लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार ने उसे रद्द कर आदेश पलट दिया था। स्वामी ने इस चिट्ठी के जरिये राज्यपाल से आग्रह किया है कि डलहौजी का नाम बदलने के लिए वह मुख्यमंत्री को आदेश जारी करें और साल 1992 की अधिसूचना को लागू करवाएं।