<p>परिवार के चलते अपने राजनीतिक जीवन पर रिस्क लेने वाले पूर्व मंत्री अनिल शर्मा के खिलाफ भाजपा सख़्त रवैया अपनाए हुए हैं। पार्टी में हो रही उनकी अनदेखी के चलते वे दिल्ली में बड़े नेताओं से मिलने गए थे लेकिन टाइम न होने की बात कहकर कोई नेता उनसे नहीं मिला। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा था जो उन्हें नहीं मिला। एक बार फिर उन्हें खाली हाथ ही हिमाचल लौटना पड़ा।</p>
<p>इस बारे में प्रदेश सचिव विजय पाल सुहारु का कहना है कि अगर वह किसी से मिलने दिल्ली गए थे तो क्या प्रदेश भाजपा से मंजूरी लेकर गए थे। वे अपनी मर्जी से गए थे क्योंकि जिस तरह से लोकसभा चुनावों में उनके परिवार ने भाजपा को नुकसान करने का प्रयास किया है ऐसी स्थिति में वह समझते हैं कि भाजपा को कोई चेहरा या बड़ा नेता उनसे मिलेगा तो वह उनकी गलतफहमी है। अनिल शर्मा को बेशक पार्टी ने अभी निकाला नहीं है लेकिन वह पार्टी के अंदर भी नहीं है।</p>
<p>वहीं, मंडी सदर के विधायक अनिल शर्मा का कहना है कि वह दिल्ली जरूर गए थे और उन्होंने समय भी मांगा था लेकिन व्यस्तता के चलते उन्हें दोनों ही नेताओं से समय नहीं मिल पाया। याद रहे कि विधानसभा चुनाव में अपनी मांगों के साथ बीजेपी में गया सुखराम परिवार लोकसभा चुनाव में दो-फाड़ हो गया। पंडित सुखराम अपने पौते के साथ कांग्रेस में आ गए जबकि उनके बेटे विधायक अनिल शर्मा बीजेपी में ही रहे। अब बीजेपी उनकी हर मोर्चे पर अनदेखी कर रही है जिसके चलते वे बड़े नेताओं से मिलना चाहते थे।</p>
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