<p>नेता प्रतिपक्ष, मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जयराम सरकार ने राज्य को वित्तीय अराजकता में धकेल दिया है और अब विकास कार्यों के लिए बजट में सीलिंग लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पास अब कर्ज़ों के अतिरिक्त कोई चारा नहीं है और राजस्व प्राप्तियां भी कोरोना काल में दम तोड़ गई हैं। केंद्र सरकार से भी कोई मदद प्रदेश सरकार हासिल नहीं कर पाई है और जीएसटी का बकाया भी लंबित है। इन अढ़ाई सालों में डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश में फिजूलख़र्ची पर कोई लगाम नहीं लगाया और प्रदेश के वित्तीय हालात तहस-नहस कर दिए हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को वित्तीय स्थिति स्पष्ट करने के लिए श्वेतपत्र जारी करना चाहिए।</p>
<p>नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार कांग्रेस को कोसने की बजाय इन अढ़ाई सालों की अपनी नाकामियों का कच्चा चिट्ठा जनता के समक्ष रखे। कोरोना से निपटने में सरकार पूरी तरह विफल हुई है। कांग्रेस और भाजपा विधायकों की संयुक्त मांग के बावजूद भी प्रदेश सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया। उन्होंने दलील दी कि इस वैश्विक महामारी के दौर में मुख्यमंत्री ने सिर्फ राज्य के नाम संदेश जारी किए जबकि कोरोना निरंतर प्रदेश में फैलता जा रहा है। सौ दिन के कोरोना काल के बाद सरकारी तंत्र पूरी तरह दम तोड़ गया है और अब जनता को इस कोराना काल में अपने हाल में छोड़ दिया गया है।</p>
<p>अग्निहोत्री ने कहा कि आलम यह है कि सिर्फ़ फिकस्ड खर्चों के लिए सरकार व्यय कर रही है और विकास के कार्यों के लिए पैसा नहीं है। इसलिए सभी विभागों को उपलब्ध बजट के 35 फीसदी से ज्यादा ख़र्चा न करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि विभागों के पास पड़े 12 हजार करोड़ रुपये को व्यय करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यही नहीं राशन की स्कीम से लाखों लोगों को वंचित करके सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपये बचाने का प्रयास खेदजनक है। बिजली की सब्सिडी से भी लाखों लोगों को महरूम किया जा रहा है। यही नहीं कोरोना काल में जब गाड़ियों की खरीद हो ही नहीं रही तब भी वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस को लाखों रुपये बढ़ाया जा रहा है।</p>
<p>मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस सरकार का आधा सफर हो चुका है और अभी भी अधिकांश महकमें मुख्यमंत्री खुद संभाले हुए हैं। स्वास्थ्य, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले और ऊर्जा जैसे महकमों के मंत्री हटने के बाद भी सरकार रिक्त पड़े मंत्रियों के पदों पर तैनाती नहीं कर पाई। जबकि कोरोना काल में इन विभागों की मोनिटरिंग के लिए मंत्री जरूरी थे। यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग में घोटाले हुए और दैनिक उपभोग की वस्तुओं के दाम मंहगे हुए और लोगों के भारी-भरकम बिजली के बिल आए।</p>
<p>उन्होंने दलील दी कि मुख्यमंत्री केंद्र से नये मंत्री बनाने की इज़ाजत हासिल नहीं कर पाए और अब तो भाजपा के विधायक भी निराश और हताश है। विधायक निधि पर चाबुक चलाकर भाजपा सरकार ने राजनीति की है, इसे तत्काल बहाल करने की जरूरत है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी विधायक यह मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोकतांत्रिक प्रणाली का भट्ठा बैठ गया है और अफसरशाही हावी हो रही है और आपातकाल की तहर कार्य हो रहे हैं। इसका ख़ामियाजा भाजपा सरकार को भुगतना पड़ेगा।</p>
<p>उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने के दावे हवा-हवाई निकले। रेलमार्ग, हवाई मार्ग के सभी ख्वाब धराशाही हो गये। इन्वैस्टर्ज मीट के एक लाख करोड़ रुपये निवेश के झूठे दावे भी अब दिव्य स्वपन्न बन गए हैं। जबकि कर्ज़ का आंकड़ा 55 हजार करोड़ रुपये के पार है। अब भी सरकार कर्जे़ की सीमा बढ़ाने का ही स्वागत कर रही है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश को न तो कोई वित्तीय पैकेज मिला और न ही कोई औद्योगिक पैकेज मिल पाया है। उन्होंने दलील दी कि कोरोना काल में बड़े पैमाने पर तबादले किए जा रहे हैं जिससे जाहिर है कि सरकार का ज्यादा समय कोरोना के निवारण के बजाय तबादलों की मंजूरियों में निकल रहा है।</p>
<p>मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कोरोना काल में हिमाचल के लोगों के ख़िलाफ दर्ज़ किए हजारों मुकदमें सरकार तत्काल वापस लें और माफिया पर अंकुश लगाने के प्रयास करें। क्योंकि सरकारी संरक्षण में खनन माफिया, शराब माफिया व वन माफिया सहित सभी प्रकार के माफिया सक्रिय हैं और कोरोना के नाम पर उगाही करने वाले राजनेताओं पर भी अंकुश लगाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा राज्य की सीमाओं को अन्य राज्यों के लागों की आवाजाही के लिए पूरी तरह खोल दिया गया है जिससे प्रदेश में कोरोना महामारी के फैलने का खतरा और बढ़ गया है। इसलिए सरकार इस पर पुनर्विचार करे और मात्र केंद्र के फरमान पर अमल करने के बजाय अपनी भौगोलिक परिस्थिति/वातावरण को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए।</p>
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