थप्पड़ मारने और बच्चों से गैरजिम्मेदाराना व्यवहार करने वाले चंबा चुराह के विधायक हंसराज की मुश्किलें बढ़ सकती है। मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और इस बारे में चंबा चाइल्ड हेल्पलाइन ने इसकी शिकायत की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग और नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की है।
चाइल्ड हेल्पलाइन की ओर से कपिल शर्मा का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने मानवाधिकार आयोग को अवगत करवाया है। जहां से उन्हें इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सूचित किया गया है। राज्य मानवाधिकार आयोग ने शिकायत आने की अनभिज्ञता जाहिर की गई है, लेकिन कहा गया है कि यदि आयोग के समक्ष मामला आता है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज शर्मा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें पद से हटाने की मांग की है। प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि यह घटना बहुत ही शर्मनाक है। विधानसभा उपाध्यक्ष ने किस अधिकार के तहत स्कूली बच्चे को थप्पड़ मारा है। यह उनसे पूछा जाना चाहिए। वहीं, एसएफआइ के सचिव विवेक राज ने कहा कि थप्पड़ के दम पर कभी भी बच्चों को संस्कार नहीं दिए जाते हैं। अगर बच्चों को संस्कार देने हैं तो उसके लिए बेहतर शिक्षा प्रणाली होनी चाहिए।
क्या बोलता है आरटीई अधिनियम?
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 बच्चों को सजा की इजाजत नहीं देता। इसके अलावा इस एक्ट की धारा-17 बच्चों को किसी भी तरह के शारीरिक दंड, मानसिक प्रताडऩा व भेदभाव को प्रतिबंधित करती है। साथ ही जुवेनाइल जस्टिस एक्ट-2015 की धारा-82 में भी यह परिभाषित है। विद्यार्थी को शारीरिक सजा देकर जो आरटीई की उपधारा (1) को तोड़ता है, उसके खिलाफ सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रविधान है। अभिभावक चाहे तो पिटाई करने वाले के खिलाफ आइपीएस में भी मामला दर्ज करवा सकता है।