<p>ऐ भाई! जरा पानी देख के पियो। जी, जनाब बिल्कुल दुरूस्त बात बताई जा रही है। कम से कम सरकारी दफ्तरों में जाते वक़्त तो वहां के चाय-पानी से तौबा ही कर लीजिए। क्या पता कौन सी बीमारी आप घर ले आएं। यकीन नहीं तो ऊपर की तस्वीर ही दोबारा देख लीजिए, हमारी बातों पर विश्वास सेंट-परसेंट हो जाएगा।</p>
<p>ये पानी की टंकियां डीसी ऑफिस शिमला की हैं। इन टंकियों के ढक्कन खुले पड़े हैं और बदरों बड़े आराम से पानी पी रहे हैं। एक पल के लिए मान भी लिया जाता कि अगर बंदर इंसानों की तरह पानी पीते तो कुछ राहत वाली बात है, लेकिन बिना नहाए-धोए ये उत्पाती बंदर गंदगी से सराबोर हाथ-मुंह लिए पानी की टंकियों में घुस जाते हैं। फिर कभी मुंह डाल के तो कभी हाथ डाल के पानी पीते रहते हैं।</p>
<p>टंकियों में घुसकर पानी पीते वक्त बंदरों के बदन पर रेंगने वाले कीड़े-मकोड़े का भी जलाभिषेक हो जाता है। फिर गंदा और बीमारी-संपन्न पानी डीसी ऑफिस के ही बाबुओं और कर्मचारियों तक पहुंचाया जाता है। यहां तक आप-हमारे जैसे लोग भी जब पहुंचते हैं तो इसी पानी से गला तर करते हैं।</p>
<p>लेकिन, इस गंदे पानी को पीने वाला शिमला के आला अफसरान भी बेखबर हैं। सोचिए, अगर एक साथ सभी को बीमारी लग गई, तो फिर पूरे शिमला का प्रशासनिक महकमा बीमार हो जाएगा। वैसे सरकारी दफ्तर गंदगी के लिए हमेशा से कुख्यात रहे हैं, लेकिन ये गंदगी अच्छी नहीं लगती।</p>
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