नतीजों से पहले विपक्षी खेमे में हलचल, 22 दलों ने EVM को लेकर चुनाव आयोग से लगाई गुहार

<p>23 मई को चुनाव नतीजे आने से पहले समूचे विपक्ष ने ईवीएम और वीवीपैट को लेकर बैठक और मंथन का दौर शुरू कर दिया है। आज दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में विपक्षी दलों की बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस, सीपीएम, राजद, सपा, बसपा, रालोद, आप, टीएमसी, एनसीपी जैसे कुल 22 दल शामिल हुए।</p>

<p>इस बैठक में कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, बसपा से सतीश चंद्र मिश्रा, वामपंथी दलों से सीताराम येचुरी, टीएमसी से डेरेक ओ ब्रायन, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल, सपा से रामगोपाल यादव, राजद से मनोज झा, डीएमके से कनिमोझी जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया। &nbsp;</p>

<p>बैठक के बाद सभी नेता ईवीएम व वीवीपैट पर अपनी चिंता को लेकर चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे। विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर किसी पोलिंग बूथ में ईवीएम और वीवीपैट का सही मिलान न हो तो पूरे विधानसभा क्षेत्र में दोबारा गिनती की जाए। &nbsp;<br />
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विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया है कि पांच पोलिंग बूथ के वीवीपैट पर्चियों का मिलान वोटों की गिनती से पहले न कि आखिरी राउंड की गिनती के बाद। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर वीवीपैट मिलान गलत निकलता है तो उस विधानसभा क्षेत्र की सभी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाना चाहिए।</p>

<p>बता दें कि ये विपक्षी एग्जिट पोल आने के तुरंत बाद ही ईवीएम पर सवाल उठाने लगे थे। किसी नेता ने ईवीएम वीवीपैट मिलान में गलती पर उस क्षेत्र का चुनाव ही रद्द करने की बात कही तो किसी नेता ने कहा कि ईवीएम में घपले की कोशिश हो रही है।</p>

<p>सोमवार को भी टीडीपी प्रमुख व आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कई नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मीटिंग की थी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मिलने के लिए कोलकाता भी पहुंचे थे। 19 मई को मतदान खत्म होने के बाद से ही वह विपक्षी नेताओं से लगातार बैठक कर रहे हैं।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>प्रणब मुखर्जी ने भी जताई चिंता</strong></span><br />
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इस बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी चुनाव आयोग को ईवीएम को लेकर नसीहत दी है। प्रणब मुखर्जी ने बयान जारी करते हुए कहा- इस मामले में संस्थागत अखंडता (ईवीएम की सुरक्षा) सुनिश्चित करने का दायित्व चुनाव आयोग के पास है। उन्हें अवश्य ऐसा करना चाहिए और सभी अटकलों पर विराम लगाना चाहिए।</p>

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