पीएम मोदी बोले, ‘मन की बात’ को हमेशा राजनीति से दूर रखा

<p>मोदी की मन की बात को आज तीन साल भी पूरे हो गए हैं। अपने संबोधन की शुरुआत मोदी ने देशवासियों का आभार व्यक्त किया। मोदी ने कहा कि मन की बात लोगों (देशवासियों) के मन से जुड़ी हुई है यह उनके मन की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि तीन साल की यह यात्रा देशवासियों की अनुभूति की यात्रा है। तीन साल में ऐसी कई घटनाएं हुईं जो उनके मन को भा गईं।</p>

<p>मोदी ने मन की बात में कहा-</p>

<ul>
<li>मन की बात को राजनीति को दूर रखा।</li>
<li>मैं तो महीने में एक बार आधा घंटा आपका लेता हूं।</li>
<li>लोग, तीसों दिन &lsquo;मन की बात&rsquo; के ऊपर अपनी बातें पहुंचाते हैं।</li>
<li>जन-मन में जो भाव उमड़ते रहते हैं &lsquo;मन की बात&rsquo; ने उन सब भावों से मुझे जुड़ने का एक अवसर दिया।</li>
<li>हमें भोजन करते समय चिंता करनी चाहिये कि जितनी ज़रूरत है उतना ही लें, बर्बाद न करें।</li>
<li>एक बार मैंने हरियाणा के एक सरपंच की सेल्फी विथ डॉटर को देखा और मैंने &lsquo;मन की बात&rsquo; में सबके सामने रखा।</li>
<li>देश सही दिशा में जाने के लिए हर पल अग्रसर है।</li>
<li>मैंने एक बार मन की बात में खादी के विषय में चर्चा की थी।</li>
<li>खादी एक वस्त्र नहीं, एक विचार है</li>
<li>मैंने देखा कि इन दिनों खादी के प्रति काफी रूचि बढ़ी है।</li>
<li>खादी की ब्रिक्री बढ़ी है, इससे गरीब के घर में सीधा-सीधा रोजगारी का संबंध जुड़ गया है।</li>
<li>उत्तर प्रदेश, वाराणसी सेवापुर में, सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया</li>
<li>मोदी ने श्रीनगर के बिलाल डार का जिक्र किया। जिसको स्वच्छता मिशन का एंबेसडर बनाया गया है। मोदी ने बताया कि बिलाल श्रीनगर में स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ा रहा है। मोदी ने बताया कि बिलाल अबतक 12,000 किलो से ज्यादा कूड़ा-कचरा साफ कर चुका है। बिलाल श्रीनगर में साफ कर्मचारी है।</li>
<li>इस बात को हमें स्वीकार करना होगा कि भावी इतिहास, इतिहास की कोख में जन्म लेता है। गांधी जी, जयप्रकाश जी, दीनदयाल जी ये ऐसे महापुरुष हैं जो सत्ता के गलियारों से कोसो दूर रहे हैं।</li>
<li>भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी जब नौजवानों से बात करते थे तो हमेशा नानाजी देशमुख के ग्रामीण विकास की बातें किया करते थे। दीनदयाल उपाध्याय समाज के आखिरी छोर पर बैठे हुए ग़रीब, पीड़ित, शोषित, वंचित की ही चर्चा करते थे।</li>
<li>हम लोग बहुत स्वाभाविक रूप से कहते हैं – विविधता में एकता, भारत की विशेषता। हम अपने देश को तो देखते नहीं हैं, देश की विविधताओं को जानते नहीं हैं लेकिन विदेशों की सैर करना पसंद करते हैं। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, स्वामी विवेकानंद, अब्दुल कलाम जी ने जब भारत-भ्रमण किया तब उनको उसके लिए जीने-मरने की नई प्रेरणा मिली।</li>
</ul>

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