शांता-धूमल भी काट रहे धवाला और इंदु के प्रकरण से कन्नी

<p>हिमाचल प्रदेश बीजेपी में इन दिनों अंदर खाते जो लोकसभा चुनावों तक राजनीति शांत वेदांत थी अब उग्र रूप लेने लग पड़ी है। ज्वालामुखी से विधायक रमेश वाला का सीधा संगठन महामंत्री पवन राणा पर आरोप कि वह जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप विधानसभा में कर रहे हैं। और पवन राणा का जवाबी हमला था की धवाला को मंत्री बनने का फोबिया हो चुका है अपने आप में ही दर्शाता है कि आने वाले समय में हिमाचल बीजेपी में एक दूसरे पर और अधिक तीखे हमले हो सकते हैं। जिसका कारण भी साफ है क्योंकि आज नई पीढ़ी बीजेपी की आगे आ रही है। ऐसे में पुराने लोग कहीं न कहीं खुद को किनारे खड़ा पा रहे हैं। यही कारण है कि रमेश धवाला सीधे-सीधे पवन राणा के खिलाफ बोलते नजर आ रहे हैं।</p>

<p>वहीं पालमपुर से बीजेपी उम्मीदवार इंदू गोस्वामी भी अपनी हार का कारण पूर्व सांसद शांता कुमार को मानती हैं। और वह यह बात कहने से भी नहीं हटती की शांता कुमार वही बीजेपी के नेता हैं जिन्होंने पालमपुर में विधानसभा चुनावों के दौरान अपनी गाड़ी पर बीजेपी का झंडा तक नहीं लगाया था। इस तरह से सीधे-सीधे आरोपों का दौर हिमाचल प्रदेश बीजेपी के भीतर चल पड़ा है जिसमें इंदु गोस्वामी ने न केवल शांता कुमार बल्कि स्वास्थ्य मंत्री को लपेट दिया है।</p>

<p>पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इसको लेकर क्या कहता है इस विषय पर हमने दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल से बात की। हमने शांता कुमार से पूछा कि सारा मामला कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र से संबंधित है और पालमपुर आपका घर है, ऐसे में इस तरह की बगावत का क्या असर आप देखते हैं?</p>

<p>इस पर शांता कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अभी मैं इस विषय पर कुछ भी कहना नहीं चाहता हूं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी इंदु गोस्वामी को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि वह भी इस विषय पर कुछ नहीं कहना चाहते हैं। इस तरह से स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश में अब वरिष्ठ नेता कहीं न कहीं खुद को किसी भी विवाद से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं और कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की समस्याएं भी बढ़ती नजर आ रही हैं । ऐसे में मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि 15 दिनों के भीतर सारी स्थिति में सुधार हो जाएगा। लेकिन अगर जल्दी ही सारी स्थिति में बदलाव नहीं हुए और दोनों ही मामले शांत नहीं हुए तो ऐसे में राजनीति से जुड़े लोगों का यह मानना है कि आने वाले समय में जयराम ठाकुर की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। क्योंकि यह चिंगारी ज्वालामुखी और पालमपुर से लगी है लेकिन इसका असर और जगहों पर भी देखने को मिल सकता है।</p>

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